Bihar Good News: मखाना-लीची-कतरनी-जर्दालु-पान के बाद रोहू मछली की बारी, जल्द मिलेगा जीआई टैग

210

पटना । बिहार सरकार मिथिला की प्रसिद्ध रोहू मछली को जीआई टैग दिलाने जा रही है। इसको लेकर बिहार सरकार लगातार केंद्र सरकार के संपर्क में है। जीआई टैग दिलाने को लेकर बिहार सरकार ने बहुत पहले ही दो विशेषज्ञों को नियुक्त किया था, ताकि रोहू मछली के बारे में अध्ययन कर उस पर रिपोर्ट तैयार किया जा सके। अब खबर है कि बहुत जल्द ही रोहू मछली को भौगोलिक संकेत ( Geographical Indication ) मिल सकता है।इसकी पृष्ठी पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने भी की हैं।

इसे भी पढ़े :-Indian Railway:ओडिशा के सरकारी स्कूल के कक्षा तीन में इस ट्रेन की होती है पढाई, जानिए कैसे ट्रेन की पढाई भारतीय सभ्यता की बनी पढाई

रोहू मछली तालाब की मछलियों की सबसे विशिष्ट प्रजातियों में से एक

दरअसल, रोहू मछली तालाब की मछलियों की सबसे विशिष्ट प्रजातियों में से एक है। मिथिला क्षेत्र की रोहू मछली विशेष रूप से दरभंगा और मधुबनी जिलों में अपने स्वाद के लिए जानी जाती है। बिहार के मत्स्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय को सौंप दिया है। संभव है कि मिथिला की रोहू मछली को बहुत जल्द ही जीआई टैग मिल जाए।

इसे भी पढ़े:-South Eastern Railway:एक माह के अंदर टाटा – थावे/कटिहार  और दक्षिण बिहार एक्सप्रेस का आदित्यपुर में ठहराव पर रेलवे ले  निर्णय नहीं तो होगा अंदोलन

क्या है जीआई टैग

जीआई टैग किसी उत्पाद की पहचान किसी विशेष क्षेत्र से उत्पन्न होने के रूप में करता है। मिथिला क्षेत्र में बिहार, झारखंड और नेपाल के पूर्वी तराई के जिले में शामिल हैं। अगर रोहू मछली को जीआई टैग मिल जाता है तो रोहू की खेती करने वाले लोगों को फायदा होगा। जीआई टैग मिलने से उन्हें वैश्विक बाजार और नई पहचान मिल जाएगी। इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। इसका सीधा असर उनका आमदनी पर पङेगा।

*इन्हें अब तक मिल चुका है जीआई टैग*

बता दें कि मिथिला मखाना, कतरनी चावल, जरदालु आम, शाही लीची और मगही पान को भी पहले ही जीआई टैग मिला चुका है।

बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने क्या कहा*

बिहार राज्य के मिथिला क्षेत्र की रोहू (Labeo rohita) अपने विशिष्ट रूप, गुण एवं स्वाद के कारण मछली प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय रही है। सदियों से लोगों के बीच यह समझ रही है कि रोहू मछली का मुंड खाने से दिमाग तेज होता है। आज के वैज्ञानिक शोध के पश्चात् भी यह पाया गया है कि रोहू मछली के ब्रेन फ्लूइड में फोस्फो आधारित रासायनिक तत्त्व, EPA (Eicosapentaenoic Acid) तथा DHA (Docosahexaenoic Acid) जैसे आवश्यक फैटी एसिड की प्रचुरता के कारण आँख की रोशनी एवं यादाश्त बढ़ाने में इसकी अहम भूमिका होती है।

मिथिला के बारहमासी मत्स्य गाथा में भी आश्विन (अक्टूबर) में रोहू झोर संग भात” का उल्लेख है। राज्य सरकार के द्वारा उत्तर-पश्चिम बिहार (मिथिला) में पाई जाने वाली रोहू के उत्पाद को “मिथिला- रोहू” के रूप में भौगोलिक संकेतन (GI Tag) हेतु पहल की गई है।

इसी परिपेक्ष्य में राज्य एवं राज्य के बाहर रह रहे प्रबुद्धजनों, शिक्षकों, शोधार्थियों, वैज्ञानिकों, सामाजिक कार्यकत्ताओं, पदाधिकारियों एवं मछली प्रेमियों से अपील की जाती है कि “मिथिला- रोहू” के संबंध में ऐतिहासिक साक्ष्य, भौगोलिक विशिष्टता, प्रमुख रोहू रेसिपी, संरक्षित जलस्रोत आदि विषयों पर सूचना एकत्रित कर मत्स्य निदेशालय, बिहार, पटना को उपलब्ध कराने की महत्ती कार्य करने की कृपा करें। उक्त सूचना निबंधित डाक अथवा ई-मेल [email protected] आदि के माध्यम से भेजी जा सकती है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More