South Eastern Railway:टाटा से प्रस्थान करने वाली इन ट्रेनों को पहचानना हुआ और भी आसान, ट्रेनों पर लगे बोर्ड हुए खूबसूरत,   रेलवे को रेल फैंस क्लब का तोहफा

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रवि कुमार झा

जमशेदपुर.

ट्रेनों की पहचान के लिए इंजन के बाद के कोच और ट्रेन के अंतिम  गार्ड कोच  में रेलवे की तरफ से एक बोर्ड लगाकर ट्रेन का नंबर और नाम दर्शाया जाता है ताकि यात्रियों को ट्रेनों की पहचान के साथ उतरने-चढ़ने में परेशानी न हो.इन दिनों टाटानगर से प्रस्थान करने वाली कुछ ट्रेनों में उन बोर्डो को खूबसूरत तरीके से बनाकर  लगाया जा रहा है.इस बोर्ड की खासियत यह है कि ट्रेन की बेहतर और आसानी से पहचान के लिए डिब्बों में उन जगहों /शहरों की सबसे अच्छी तस्वीरों को लगाया जाता है जहां से ट्रेन खुलती हैं और जहां पहुंचती हैं.इसके अलावे  हिंदी , अंग्रेजी के साथ – साथ स्थानीय भाषा में ट्रेनों के नाम लिखे जाते हैं.   इस काम को दक्षिण पूर्व रेलवे जोन के  रेल फैंस क्लब कर रहे हैं. रेल फैंस क्लब उस बोर्ड को तैयार कर रेलवे को निशुल्क उपलब्ध करा रहे हैं.

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*रेलवे को निशुल्क उपलब्ध कराया जाता हैं*

दक्षिण पूर्व रेलवे जोन के  लगभग 20 ट्रेनों को इस नए रूप में बनाकर दिया गया है.इस काम के लिए करीब बीस लोगों की  टीम है. ये टीम दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर रेल डिवीजन से गुजरने वाली कुछ ट्रेनों में और टाटानगर से खुलने वाली करीब 5 एलएचबी ट्रेनों में इस बोर्ड को लगा चुकी है.

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टाटा से खुलनेवाला इन ट्रेनों में इस बोर्ड को लगाया गया है—

टाटा से खुलने वाली 18103/18104 टाटा – अमृतसर – टाटा जलियांवाला बाग एक्सप्रेस, 12813/12814 टाटा – हावड़ा – टाटा स्टील एक्सप्रेस, 18111/18112 टाटा – यशवंतपुर – टाटा एक्सप्रेस, 18189/18190 टाटा – एर्णाकुलम – टाटा एक्सप्रेस और 18183/18184 टाटा – दानापुर – टाटा सुपर एक्सप्रेस

धीरे– धीरे इस जोन के सभी एलएचबी ट्रेनों में इस बोर्ड को लगाने की योजना है. इस बोर्ड को बनाने में जो खर्च आता है उसका वहन क्लब ही करता है.

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*शहर के प्रसिद्ध जगह की तस्वीर के साथ स्थानीय भाषा में ट्रेनों के नाम*  

इस संबंध में इस टीम के सदस्य शशांक शेखर स्वाई ने बताया कि हम लोगों की टीम पहले ट्रेनों का चयन करती है, उसके बाद संबंधित स्टेशन के अधिकारियों से उस संबंध में बात की जाती है. उसके बाद जिस शहर के बीच ट्रेन आना – जाना करती है, वहां के किसी प्रसिद्ध जगह की तस्वीरें  लगाकर डिजाइन तैयार किया जाता है. डिजाइन तैयार होने के बाद पूरी तरह संतुष्ट होने पर रेल अधिकारियों से अप्रूवल लिया जाता है और फिर बोर्ड बनाया जाता है. यह बोर्ड ट्रेनों के रैक के हिसाब से तैयार किया जाता हैं. सबसे बड़ी बात इसका पूरा खर्चा कोई भी देने को तैयार हो जाता है. बोर्ड तैयार होने के बाद उसे नि :शुल्क संबंधित जोन के अधिकारी को सौंपा जाता है.इस बोर्ड के लगने से ट्रेन की खूबसूरती बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि आने वाले ,समय में यह बोर्ड एलएचबी ट्रेनों मे लगाने की योजना है.

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