Jamshedpur : रह जाती है दोस्ती, जिंदगी का नाम दोस्ती , दोस्ती का नाम जिंदगी, के एम पी एम के 93-95बैच के दूसरे री यूनियन में दिल्ली से लेकर अमेरिका से जुटे पूर्व छात्र, टीचर भी हुए शामिल

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अन्नी अमृता

जमशेदपुर.

कुछ भी नहीं रहता दुनिया में यारों रह जाती है दोस्ती……दोस्ती एक ऐसा जज्बात है जिसको शब्दों में बयां करना मुश्किल है.स्कूल काॅलेज के दोस्तों की बात ही अलग होती है जो आपको पद से नहीं बल्कि आपको आपसे जानते हैं.ऐसे दोस्त जब दुबारा सालों बाद मिलें तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्या भावनाएं उफान मारती हैं.ऐसा ही कुछ नजारा आज जमशेदपुर के बेल्डीह क्लब में देखने को मिला जब मिसेज केएमपीएम इंटर काॅलेज के 93-95बैच के दूसरे री यूनियन का आयोजन हुआ.

पिछले साल प्रशांत सिंह उर्फ पुतुल की पहल पर यूनाईटेड क्लब में पहला री यूनियन आयोजित हुआ तब यह तय हुआ था कि यह सिलसिला हर साल कायम रहेगा और आयोजन में भाग लेने से किसी कारण वंचित हो जानेवाले पूर्ववर्ती छात्रों को जोडा जा एगा.इस साल दूसरे रीयूनियन में दिल्ली, कोलकाता से लेकर अमेरिका से पूर्ववर्ती छात्र छात्राएं पहुंचे.रीयूनियन में
केएम पी एम के टीचर(अदिति टीचर, प्रसाद सर और अन्य) भी पहुंचे और अपने छात्रों को देखकर भाव विह्वल हो गए.उनलोगों ने पुराने दिनों को याद किया और कुछ मजेदार किस्से बताए.खासकर अदिति टीचर से मिलकर सभी बहुत खुश हुए.वे के एमपीएम इंटर काॅलेज में अंग्रेजी की शिक्षिका थीं और कडक होने के साथ ही छात्र-छात्राओं के प्रति काफी संवेदनशील रहीं.अर्से बाद पुराने दिनों को आज याद करके वे काफी खुश दिखीं.वहीं दिल्ली से आई रश्मि और अमेरिका से आई ममता ओझा ने बिहार झारखंड न्यूज नेटवर्क से बात करते हुए कहा कि वे खुद को रीचार्ज किए जाने जैसा महसूस कर रही हैं.पुराने दोस्तों से मिलकर जिंदगी की सकारात्मकता का एहसास होता है.साथ पढे दोस्त प्रोफेशनल फील्ड में अपनी धाक जमा रहे हैं , कोई आर्मी में है, कोई बिजनेस कर रहा है, कोई मीडिया में है तो कुछ घर संभाल रहे हैं, लेकिन एक चीज है जो सबको एक करती है और वह है मिसेज के एम पी एम इंटर काॅलेज का नाम.

दूूसरे रीयूनियन में डांस मस्ती में छात्र तो डूबे ही अंताक्षरी का भी रंग सजा.बीच बीच में पूर्ववर्ती छात्रों ने गानों से समां भी बांधा.इनमें कई छात्र ऐसे थे जो पहले रीयूनियन में शामिल नहीं हो पाए थे.ऐसे में वे 28साल बाद अपने सहपाठियों से मिले तो एक दूसरे को पहचान ही नहीं पाए. पहचानते भी कैसे ?अब सब अपनी अपनी जिंदगी में अपना अपना परिवार संभालते संभालते अपना अपना किरदार निभाते निभाते कब उम्र के चालीसवे पड़ाव को पार कर बैठे पता ही नहीं चला..

दोस्ती का ये बंधन ऐसा कि पूरे देश से ये दोस्त जुटे.कोई मुंबई से आया, कोई बिरासपुर से, कोई कोलकाता तो कोई रांची., तो कोई हज़ारीबाग से आया…कार्यक्रम के दौरान दोस्त भावुक भी हो गए..इसके आयोजन में प्रशांंत, विकास,धन, रविन्दर, ज्योति, विभा, रश्मि, माला, सरिता, सीमा, संतोष, कृष्णा, मुकुंद , अन्नी समेत अन्य का काफी योगदान रहा…ये तय हुआ कि ये संपर्क बना रहेगा.एक दूसरे के सुख दुख में सहभागिता इसी तरह बनी रहेगी.इस कार्यक्रम में शिक्षकों और मौजूद सभी छात्र छात्राओं को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए

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