जमशेदपुर 3 जून ।
निकटवर्ती आनंद नगर में आयोजित आनंद मार्ग प्रचारक संघ के त्रिदिवसीय विश्वस्तरीय धर्म महासम्मेलन में देश के विभिन्न भागों से भक्तों के आने का तांता लगा हुआ है। ग्रीषम ऋतु की भीषण गर्मी के बावजूद साधकों की संख्या हजारों में है। साधक साधिकाओं ने ब्रह्म मुहूर्त में गुरु सकाश, पाञ्चजन्य एवं योगासन का अभ्यास अनुभवी आचार्य के निर्देशन में किया।
संघ के पुरोधा प्रमुख श्रद्धेय आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने बाबा भक्तों को को संबोधित करते हुए कहा कि पुरुषोत्तम विश्व के प्राण केंद्र हैं। वे बंगाल ओत योग प्रोत योग के द्वारा विश्व के साथ जुड़े हैं। हर प्राणी जीव- जंतु, पशु-पक्षी, लता लता- गुल्म के साथ व्यक्तिगत रूप से जुड़े रहते इसे कहते हैं ओत योग। परमपुरुष सभी सत्ताओं के साथ समषटि गत भाव से जुड़े रहते हैं उसे ही कहते हैं प्रोत योग। परम पुरुष के इस अंतरंग संबंध को भक्त लोग ही अनुभव करते हैं।
पुरोधा प्रमुख जी ने कहा कि भक्त तीन प्रकार के होते हैं। प्रथम प्रकार के साधक कहते हैं की परम पुरुष सबके हैं इसलिए मेरे भी हैं, ऐसा मनोभाव रखने वाले भक्त अधम श्रेणी में गणय है । परम पुरुष मेरे भी हैं और अन्य सभी जीवो के भी हैं, ऐसे भक्त मध्यम श्रेणी के हैं। अव्वल दर्जे के भक्त कहते हैं कि परम पुरुष मेरे हैं और सिर्फ मेरे हैं, वे मेरे परम संपत्ति है। आचार्य जी ने कहा की भक्ति पाने के लिए नैतिक नियमो का पालन करना होगा । अहिंसासत्य अस्तेय ब्रह्मचर्य शौच संतोष तप स्वाध्याय ईश्वर प्रणिधान के पालन से मन निर्मल होता है। इस निर्मल मन से जब इष्ट का ध्यान किया जाता है तो भक्ति सहज उपलब्ध हो जाता है।
पुरोधा प्रमुख जी के आगमन पर कौशिकी एवं तांडव नृत्य किया गया। कौशिकी नृत्य की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए महिला कल्याण विभाग के केंद्रीय सचिव अवधूतिका आनंद अभिसमबुदधा आचार्या ने कहा कि भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी कौशिकी नृत्य के जन्मदाता हैं। इस नृत्य के अभ्यास से 22 रोग दूर होते हैं। सिर से पैर तक अंग- प्रत्यंग और ग्रंथियों का व्यायाम होता है। मनुष्य दीर्घायु होता है ।यह नृत्य महिलाओं के सु प्रसव में सहायक है। मेरुदंड के लचीलेपन की रक्षा करता है ।मेरुदंड, कंधे ,कमर, हाथ और अन्य संधि स्थलों का वात रोग दूर होता है। मन की दृढ़ता और प्रखरता में वृद्धि होती है । महिलाओं के अनियमित ऋतुस्राव जनित त्रुटियां दूर करता है । ब्लाडर और मूत्र नली में के रोगों को दूर करता है। देह के अंग-प्रत्यंगों पर अधिकतर नियंत्रण आता है ।मुख् मंडल और त्वचा की दीप्ति और सौंदर्य वृद्धि में सहायकहै। कौशिकी नृत्य त्वचा पर परी झुर्रियों को ठीक करता है । आलस्य दूर भगाता है । नींद की कमी के रोग को ठीक करता है । हिस्टीरिया रोग को ठीक करता है । भय की भावना को दूर कर के दे मन में साहस जगाता है। निराशा को दूर करता है। अपनी अभिव्यंजना क्षमता और दक्षता वृद्धि मे सहायक है । रीड में दर्द, अर्श, हर्निया, हाइड्रोसील ,स्नायु यंत्रणा ,और स्नायु दुर्बलता को दूर करता है। किडनी, गालब्लैडर, गैस्ट्राइटिस, डिस्पेप्सिया, एसिडिटी ,डिसेंट्री ,सिफलिस, स्थूलता ,कृशता और लीवर की त्रुटियों को दूर करने में सहायता प्रदान करता है। 75 से 80 वर्ष की उम्र तक शरीर की कार्य दक्षता को बनाए रखता है।
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भय को भगाता है स्मृति शक्तिको जगाता है तांडव
तांडव नृत्य की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए सेवा धर्म मिशन के केंद्रीय सचिव आचार्य सविता नंद अवधूत ने कहा कि तांडव नृत्य के उद्गाता भगवान सदाशिव हैं । तारक ब्रह्म भगवानश्री श्री आनंदमूर्ति जी ने मानवता के कल्याण के लिए तांडव नृत्य को पुनः स्थापित किया।
छः दोष निद्रा ,तंद्रा , भय,क्रोध, आलस्य, और दीर्घसूत्रता से निजात पाने में तांडव सहायक है। तांडव नृत्य पीनियलऔर पिट्यूटरी ग्रंथि को सक्रिय करता है जिसके कारण यादाश्त शक्ति और सजगता में वृद्धि होती है। मस्तिष्क संबंधी अनेक रोग दूर हो जाते हैं। मस्तिष्क को मजबूती प्रदान करता है । पौरूष शक्ति का जागरण होता है। संघर्ष करने की क्षमता में वृद्धि होती है ।शक्ति का संचार होता है । चुनौतियों से मुकाबला करने की प्रेरणा पाता है ।
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संध्याकालीन सत्र में धर्म चक्र के उपरांत भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतो से हुए रिनासा आर्टिस्ट एंड राइटर एसोसिएशन के कलाकारों लिपिका देव, रांची से माधवी, सुंदर नगर हिमाचल प्रदेश से सुनीता देव,सरजु महतो शिशु सदन प्रियंका देव, कोटा राजस्थान से कोमल, पुंदाग से प्राची, बीकानेर प्राकृति, सोना,प्रिया , प्रमा, प्रज्ञा, खुशी, पूजा एवं शिल्पा ने प्रस्तुति देकर उपस्थित जनों के मन को मोह लिया। सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रोफेसर मृणाल पाठक कर रहे हैं। रविवार के दिन आनंद मार्ग यूनिवर्सल रिलीफ टीम की ओर से 1000 साड़ी एवं धोती का वितरण होगा।
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