छातापुर (सुपौल )सोनू कुमार भगत ।

प्रखण्ड क्षेत्र में अक्षय नवमी पर्व (व्रत )बुधवार को होर्षोल्लास पूर्वक श्रद्धालुओ द्वारा मनाया गया । पर्व को लेकर दिन भर चहल पहल बनी रही । अक्षय नवमी के मौके पर सुबह से ही विभिन्न जगहों पर आंवला पेड़ के नीचे महिलाओ ने पुरोहित जी से कथा सुनी, आंवला वॄक्ष की पूजा अर्चना की उसके उपरांत वे लोग उसी पेड़ के नीचे भोजन भी किया पुरोहित के अनुसार यह हिन्दुओं का प्राचीन काल से की जा रही यह पूजा जो भगवान विष्णु जी की पूजा विशेष रुप से की जाती है ! इस दिन आंवला वॄक्ष की पूजा करने से बैकुंठ लौक की प्राप्ति होती है ! पुरोहित जी के एक कथा अनुसार पुराने प्राचीन काल में दो गंदर्भ स्त्री पुरूष नग्न वस्था में जल कीड़ा कर रहे थे ! दुर्वासा ऋषि की नज़र उस पड़ पर गई क्रोध में आकर उन्होंने श्राप दे दिया की तुम दोनो ज़र हो जाओ उनसे छमा मांगी रो रो कर गिड़गिड़ाने के बाद ऋषि ने कहा की मेरा श्राप तो वापस नहीं होगा किंतु द्वापर ऋतु में भगवान श्री कृष्ण के स्पर्श से तुम्हारी मुक्ति होगी ! दोनो आंवला वृक्ष बन कर माता यशोधा के आंगन में पैदा हुये जब यशोधा मैया ने भगवान श्री कृष्ण को ऊखली में बाँधा तब ऊखली को खींचते हुये बालकृष्ण आंवला वृक्ष से सट गये ! उसके बाद से ही गंधर्वो का ऊद्वार हो गया तब से आंवला वृक्ष की पूजा की जाती है ! इस पूजा को हिन्दु समुदाय के लोगों ने प्रखंड क्षेत्रों में विभिन्न जगहों पर श्रधा व भाव के साथ मनाया !