क्या देश जिन्हें अपना आदर्श मानता है, वे वास्तव में राज्यसभा की
सदस्यता के हकदार हैं? सवाल इसलिए उठा है क्योंकि क्रिकेट के मैदान पर
रनों का पहाड़ खड़ा कर देने वाले सचिन तेंदुलकर और सिलसिलेवार हिट
फिल्में देनी वाली ब्यूटी क्वीन रेखा ने गत दो सालों में अपनी सांसद निधि
से एक रुपया भी विकास कार्यो पर खर्च नहीं किया है। गौरतलब है कि सांसदों
को हर साल पांच करोड़ रुपये सांसद निधि के तौर पर जारी किए जाते हैं।
भारत रत्न पाने के बाद समाज सेवा की पिच से देश सेवा करने की बात कहने
वाले सचिन ने क्षेत्र के विकास के लिए मिलने वाली सांसद निधि का एक पैसा
खर्च नहीं किया। 2012-13 के लिए सांसद निधि के पांच करोड़ रुपये तो पहले
ही इस्तेमाल नहीं करने के कारण लैप्स (रद) हो चुके हैं। वित्तीय वर्ष
2013-14 का पांच करोड़ रुपये का फंड भी इसी कगार पर पहुंच चुका है। यही
हाल अभिनेत्री रेखा का भी है। वह भी सांसद निधि का एक धेला नहीं खर्च कर
सकी हैं। सचिन ने कम से कम सांसद निधि खर्च करने के लिए मुंबई उपनगर को
चुना था लेकिन रेखा ने वह भी नहीं किया। उन्होंने किसी जिले का नाम नहीं
दिया जहां वह सांसद निधि का इस्तेमाल करेंगी। बता दें कि राज्यसभा
सदस्यों को विकास कार्यो के लिए एक क्षेत्र को चुनना होता है और उसकी
घोषणा करनी पड़ती है। क्रिकेट और रुपहले परदे के ये दोनों ही सितारे
अप्रैल 2012 में राष्ट्रपति की तरफ से राज्यसभा में नामित किए गए थे।
उसके बाद से संसद में भी दोनों ही सितारे सिर्फ झलक दिखाने ही आए। सदन
में इनकी उपस्थिति का ट्रैक रिकार्ड भी कतई अच्छा नहीं है। यह पहला मौका
नहीं है, जब सचिन का नाम किसी असहज करने वाली खबर से जुड़ा हो। इससे
पूर्व युवाओं में सचिन की लोकप्रियता को देशहित में इस्तेमाल करने के लिए
वायुसेना ने उन्हें ग्रुप कैप्टन की मानद उपाधि से नवाजा था। वायुसेना को
भरोसा था कि ब्रांड अंबेसडर के रूप में तमाम वस्तुओं को लोकप्रिय बनाने
वाले सचिन की सेवाओं से सेना को भी युवाओं में पैठ मिलेगी। वायुसेना ने
सचिन से अपने सबसे आधुनिक विमान सुखोई में उड़ान भरने का प्रस्ताव किया।
लेकिन वायुसेना की मंजूरी के एक साल बाद भी सचिन इसके लिए समय न निकाल
सके।

