सहरसा-एक दिवसीय संतमत सत्संग आयोजित नवनिर्मित सत्संग भवन का भी हुआ उद्धाटन

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सिमरीबख्तियारपुर (सहरसा) से ब्रजेश भारती।
प्रखंड के भटौनी पंचायत के मध्य विधालय भटपुरा के प्रांगण में शुक्रवार को एक दिवसीय संतमत सत्संग का आयोजन किया गया ।
वही इससे पूर्व पहाड़पुर बाजार स्थित नवनिर्मित सत्संग भवन का उद्धाटन भागलपुर कुप्पाघाट से आये स्वामी सत्यप्रकाश बाबा ,स्वामी स्वरूपानंद बाबा और स्वामी कमलानंद बाबा ने सयुक्त रूप से फीता काट व दीप प्रज्वलित कर किया ।
इस एक दिवसीय संतमत सत्संग में भागलपुर से आऐ स्वामी सत्यप्रकाश जी बाबा ने उपस्थित श्रोताओं से कहा कि सबकी जड़ परमात्मा है , एक ईश्वर की उपासना करो तो सबकी उपासना हो जाऐगी। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि देवताओं को पूजनेवाले देवताओं को प्राप्त होते हैं , पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं और मेरे भक्त मेरे को प्राप्त होते हैं ।
डा प्रो स्वामी गुरूप्रसाद बाबा ने आयोजित सतसंग में प्रवचन करते हुए कहा कि मुक्ति का अर्थ है – शरीर और संसार से छूट जाना जब शरीर और संसार से छुट जाय , तब ही मुक्ति है उन्होंने कहा कि शरीर और संसार का आपस में बडा संबंध है ।
वही स्वामी स्वरूपानंद जी बाबा ने कहा कि जो एकनिष्ठ होते हैं , वे ही ईश्वर का भजन करके उनको पाते हैं जो एक को नहीं पूजते वे आवागमन से नहीं छूटते । एक ईश्वर का भजन करनेवाले ही आवागमन से छुटते है ।
स्वामी कमलानंद जी महराज ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि सत्संग से ही सच्चा सुख मिल सकता है। वासना के कारण ही जीव बंधन में हैं इससे मुक्ति पाने के लिए लोग तीर्थों का चक्कर लगाते रहता है। पहले लोगों को अपने अन्दर के पापों को जलाना चाहिए वही कहा कि जबतक किसी देश का आध्यात्मिक स्तर उत्तम और ऊंचा नहीं होगा तब तक उस देश में सदाचारिता ऊँची नहीं होगी । जब तक सदाचारिता ऐसी नहीं रहेगी , तबतक सामाजिक नीति अच्छी और शान्तिदायक नहीं होगी ।
इस सत्संग को स्वामी अनिल बाबा ,स्वामी रामपूर्ति बाबा आदि ने संबोधित किया ।इस अवसर पर भटौनी पंचायत के मुखिया टंडन पुरूषोत्तम ने कुप्पाघाट से आये सभी संत महात्माओं का अभिनंदन किया । वही इस दौरान आये श्रद्धालुओं के लिए भंडारा का आयोजन भी किया गया । इस एक दिवसीय सतसंग को सफल बनाने में अशोक यादव ,प्रो गंगा यादव ,रमेश कुमार ,रघुनंदन यादव ,विनोद सिंह ,आनंद कुमार ,मुरारी सिंह ,मनोज यादव आदिलोग मौजूद रहें ।

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