गम्हरिया
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गम्हरिया समेत आसपास के क्षेत्रों में सुहागिनों द्वारा बट-सावित्री पूजा पारम्परिक रीति-रिवाज के साथ की गई। इस मौके पर सुहागिनों ने निर्जला व्रत रखकर बट वृक्ष के समीप फल-फूल, पुष्प आदि लेकर आस्था के साथ पूजा-अर्चना कर पति के दीर्घायु जीवन की कामना किया। तत्पश्चात् घर आकर पति के चरण स्पर्श कर उनसे आशीष ग्रहण किया। मान्यता है कि आदिकाल में सावित्री ने बट वृक्ष के पास ही अपने पति सत्यवान की मृत्यू के पश्चात् इस व्रत को रखकर पूजा की थी और उपने पति के पुर्नजीवित करने में सफल हुई थी। उसके बाद से सुहागिनों द्वारा इस व्रत को किए जाने की परम्परा है। बताया जाता है कि इस व्रत को करने से पति की आयु बट वृक्ष के समान लम्बी होती है। इस पूजनोत्सव को लेकर क्षेत्र के सभी बट वृक्षों के पास सुहागिन महिलाओं की भीड़ लगी रही। इस दौरान सुहागिनों ने सामूहिक रुप से बट सावित्री की कथा श्रवण भी की।

