पंकज आनंद
समस्तीपुर।
लिखने, बोलने, सोचने की आजादी पर रोक इमरजेंसी को भी पीछे छोडा
समस्तीपुर में पत्रकार गौरी लंकेश की बंगलूरु में की गई हत्या के खिलाफ आज शहर के स्टेशन चौराहा स्थित गाँधी प्रतिमा के समक्ष शहर के छात्र, नौजवान, लेखक, कवि, संस्कृतकर्मी, बुद्धिजीवी, अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिक कार्यकर्ता, पत्रकार तथा वरिष्ट नागरिकों की उपस्थिति में नागरिक प्रतिवाद सभा का आयोजन किया गया।सभा में वक्ताओं ने गौरी कन्नड में ” लंकेश पत्रिके” की संपादक थी।वह एक पत्रकार के रूप में पत्रिकारिता को लोकतंत्र, न्याय और धर्मनिरपेक्षता को मशाल की तरह थामने वाली आवाज थीं। तमाम दक्षिणपंथी धमकियों के बाबजूद वे इस मुल्क की जम्हूरियत को अपने कलम के जरिये निर्भिक करने वाले पत्रकार थीं। वे लगातार महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों और अन्य हासियें की तबकों के सबाल को मजबूती से उठाती थीं। भाजपा व संध परिवार के तीखी आलोचक गोरी लगातार उनके निशाने पर रहीं।उन्हेंक्षतमाम तरह की धमकियां मिलती रहीं पर उन्होंने सच और साहस का दामन मजबूती से अंतिम दम तक थामें रहीं।अभिव्यक्ति की आजादी पर वे लगातार लिखती बोलती रहीं थीं। वक्ताओं ने हाल में ही देश के बडे पत्रकार पंसले, दाभोलकर, कुलवर्गी आदि की हत्या पर भी चिंता व्यक्त की।वक्ताओं ने मृत पत्रकार को कुतिया बताने वाले जागृति शुक्ला को प्रधानमंत्री द्वारा ट्विटर पर फौलो करने की भी निंदा की।मौके पर बिहार के अरबल के पत्रकार पंकज मिश्रा एवं मुजफ्फरपुर में शराब माफिया द्वारा एक पत्रकार पर हमले की भी निंदा कर पत्रकार को निशाना बनाने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा–
” कलम के सिपाही अगर सो गये तो बतन के सिपाही बतन बेच देंगे।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता डाँ० शंकर प्रसाद यादव, संचालन रधुनाथ राय, बतौर वक्ता भाकपा माले नेता सह इनौस जिला अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, आइसा जिला अध्यक्ष सुनील कुमार, मनीष कुमार, विवेक कुमार, माले नेता जीबछ पासवान, उपेंद्र राय, ऐपवा नेत्री प्रमिला राय, भाकपा के शत्रुधन पंजी, भरत राय, बैधनाथ ठाकुर, माकपा के भोला राय, रामसागर पासवान, सत्यनारायण महतो, शिक्षक संध के शाहजफर ईमाम समेत अन्य दर्जनो गणमान्य लोगों ने संबोधित किया।
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