कौशिक घोष चौधरी
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नहाय-खाय यानी लौकी-भात के सेवन के साथ बिहार का महापर्व सूर्य षष्ठी व्रत (डाला छठ) आज से शुरू हो जाएगा। इस दिन लौकी का विशेष होने के कारण एक दिन पहले से ही लौकी का भाव आसमान छूने लगा। रोज के दिनों में बीस रुपये किलो बिकने वाली लौकी रविवार को फुटकर बाजार में 40 रुपये से ऊपर पहुंच गई।
छठ के व्रत में शुद्धता का खास महत्व है और इसमें वाह्यं के साथ ही अन्त: को भी शुद्ध रखने की मान्यता है। इसे ध्यान में रखते हुए व्रत करने वाली महिलाएं चौथ के दिन से ही सुपाच्य भोजन ग्रहण करती हैं। इस क्रम में आज व्रती महिलाएं भोजन में लौकी मिश्रित चने की दाल के साथ चावल ग्रहण करेंगी और भोजन में सेंधा नमक का उपयोग किया जाएगा।चौथ को हल्का भोजन लेने के दूसरे दिन बुधवार को यानी पंचमी को दिन भर महिलाएं निराजल व्रत रहेंगी और शाम को एक बार भोजन ग्रहण करेगी। इस दिन को आम तौर पर ज्ञान पंचमी तथा बोलचाल की भाषा में खरना कहा जाता है। शाम को गाय के दूध में गुण व
साठी के चावल का खीर और शुद्ध आटे की पूड़ी बनाई जाएगी तथा उसे व्रती महिलाएं एक बार ग्रहण करेंगी। उसमें भी पुरानी परंपरा यह है कि भोजन के दौरान अगर किसी ने पुकार दिया अथवा उसमें कंकड़ आदि निकल गया तो उसके साथ ही भोजन छोड़ दिया जाता है। भले ही हलक के नीचे पहला निवाला ही क्यों न गया हो।
दूसरी ओर छठ पूजा के लिए घाटों पर बेदी बनाने का काम शुरू हो गया है। जिला प्रशासन के मुताबिक श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए वे अपने स्तर से प्रकाश आदि की सारी व्यवस्था करते हैं।
छठ पूजा की तैयारियां तेज हो गई हैं। पूजन सामग्री की खरीदारी शुरू हो गई है। शहर के ज्यादातर संस्थाओं के द्वारा इस महापर्व की शुभ उपलक्ष्य में पूजन सामग्री निःशुल्क वितरण ब्रतियों के बीच किया जा रहा है I
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