रांची।
आनन्दमार्ग प्रचारक संघ के आचार्य पूर्णदेवानंद अवधूत ने राँची एयरपोर्ट पर सी0 आई0 एस0 एफ0 के जवानो को योगसान करवाया। उन्होनेे कहा कि योग, आसन एवं प्राणायाम के विशय में बताते हुए कहा कि तीनों की परिभाशा अलग-अलग है। आसन करवाते समय कहा कि जीवात्मा के परमात्मा के साथ एकाकार होने का नाम ही योग है। जिस तरह पानी और चीनी को मिलाने से एकाकार हो जाता है यानि मिलने के बाद चीनी और पानी को अलग अस्तित्व नहीं रहता उसी तरह अध्यात्मिक साधना के माध्यम से जब साधक परमात्मा के साथ मिलकर एक हो जाता है तो उस समय मैं तथा परमात्मा का बोध का अस्तित्व नहीं रहता। आनन्दमार्ग के योग साधना में जीवात्मा को परमात्मा के साथ मिलाने की जो अध्यात्मिक साधना की प्रक्रिया है वही योग है। आसन करने से षरीर और मन स्वस्थ्य रहता है। यह ग्रन्थि दोश को दूर करता है। आसन करने से मन अप्रिय चिन्ता से दूर होता है। यह सूक्ष्म और उच्चकोटि के साधना में काफी मददगार साबित होता है। नियमित आसन करने से षरीर में लचिलापन होता है। योग करने से षरीर और मन का संतुलन बना रहता है। प्राणायाम एक ष्वांस की प्रक्रिया है जो ष्वांस नियंत्रण के साथ ईष्वरीय भाव आरोपित करता है।
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