पुरूषोतम कुमार सिंह।
मधेपूरा।
माॅ शारदे की पुजा अर्चना विद्या और अच्छे ज्ञान के लिए की जाती है मगर ऐसा न होना अभिभावक की लापरवाही कही जाए तो बेहतर होगा। क्योंकि इस पूरे प्रारूप मे बच्चे ही शामिल होते है और ऐसे मे अभिभावको को सही और अच्छे संस्कार का पाठ अपने बच्चो को जरूर पढ़ाना चाहिए।सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि,प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं ।हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं ।इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है ।
प्राचीन काल से ही नारी की पूजा अनेक रूपों में की जाती रही है ।आज बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी सरस्वती के रूप में पूजी जाती है ।महान आचारशास्त्री ‘मनू’ ने भी लिखा है:-” यत्र नार्यस्तू पूज्यते,रमनते तत्र देवता ।”काशीपुर से निकलकर गौशाला चौक से सिनेमा चौक से भ्रमण करते और इस विसर्जन मे सारा रोड ही जाम था गोलबजार से बलुवाहा पुल पर मूर्ती विसर्जन किया गया जिसमे विद्यालय परिवार के सभी शिक्षक मौजूद थे और स्कूल के बच्चे भी शामिल थे
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