मधुबनी: आपदा प्रबंधन पर इंडो-नेपाल के शिक्षकों का हुआ सेमिनार

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अजय धारी सिंह

मधुबनी9 जुलाई ।

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रविवार को *बी पी कोइराला इंडिया-नेपाल फाउंडेशन* के तहत आनन्द मेमोरियल फाउंडेशन, पटना के द्वारा होटल अतिथि के सभागार में एक इंटरैक्टिव डिस्कशन सह सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यशाला का विषय *”Capacity Building on Disaster managment to Selected School Teachers of India & Nepal “* था। सेमिनार की अध्यक्षता जेएमदीपीएल के प्रिंसिपल डॉक्टर पी सी एल दास ने की। कार्यक्रम का उद्घाटन नेपाल के राजनयिक भरत कुमार रेगमी, नेपाल के कला सचिव कृष्ण कुमार पांडा, बिहार सरकार के पूर्व मंत्री राजकुमार महासेठ, नेपाल के शिक्षाविद कृष्णा देव यादव, जेएमदीपीएल के प्रिंसिपल डॉक्टर पी सी एल दास ने दीप प्रज्वलित कर के किया। स्वागत भाषण प्रोफेसर आदित्य कुमार लाल दास ने किया।
प्रशिक्षक के रूप में दी पी कर्ण, अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त अग्नि विशेषज्ञ टी एन प्रताप, एवं यूनिसेफ के संतोष कुमार, प्रोफेसर विनय कुमार दास ने आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर आणि अपनी राय रखी। नेपाल के शिक्षाविद कृष्णा देव यादव ने इस प्रयास को भारत नेपाल मैत्री को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त अग्नि विशेषज्ञ टी एन प्रताप ने बताया की आग पाँच प्रकार के होते हैं। आग इंर्धन, ऑक्सीजन और गर्मी का संयोग( कॉम्बिनेशन) है। अधिकतर आग को रोकने में बालू का उपयोग करना चाहिए। आग में अगर हवा के संपर्क को रोक दिया जाय तो आग रुक जाएगी। गैस सिलेन्डर में आग लग जाने पर बिजली के स्विच अगर ऑन है तो उसे ऑफ न करें और अगर ऑफ है तो ऑन न करें। गैस सिलेन्डर के आग को बालू दे कर बंद करें। प्रोफेसर अमर कुमार ने कहा कि इस प्रकार का ज्ञानवर्धक सेमिनार आम आदमी के लिये भी बहुत उपयोगी है। इस तरह का कार्यक्रम आम लोगों के लिये भी करनी चाहिए। संतोष कुमार ने भूकंप के बारे में भारत और नेपाल के परिपेक्ष में विस्तार से बताया।

कार्यक्रम में नेपाल के सुभाष यादव, संजू कुमारी, पंची दास, विनीता, हृदय नारायण, मंजू कुमारी, इन्द्रभूषम रमण, इं० विवेक कुमार महासेठ, मनोज गाँधी, अमित महासेठ, अजय धारी सिंह सहित कई लोगों ने भाग लिया। मंच का संचालन कार्यक्रम के संयोजक दी पी कर्ण ने किया। आनन्द मेमोरियल फाउंडेशन, पटना द्वारा संचालित इस कार्यक्रम के आयोजक दीपक कुमार ने कहा कि यह कार्यक्रम स्कूली बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया गया है। भविष्य में इसे व्यापक स्तर पर आम जन की भी भागीदारी के साथ किया जाएगा।

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