दिपक झा
बोकारो।
मात्र चार घंटे वह नवजात बालक सड़क किनारे पड़ा अपनी मां का इंतजार करता रहा। मां के दूध के लिये बिलख-बिलखकर उसके कंठ सूख रहे थे। मां तो नहीं आयी, लेकिन गली के कुत्ते जरूर पहुंच गये। खतरों से अनजान चारों तरफ कुत्तों के घिरा तो बस अपनी मां का बाट निहारता रहा, लेकिन कुत्ते उसे अपना शिकार बनाने की फिराक में थे। इससे पहले कि कुत्ते उस शिशु को नोंच-नोंचकर मार और खा डालते कि आसपास के लोगों तथा पुलिस ने मानवीयता दिखाते हुए उसकी जान बचा ली। इसे ही कहते है बदकिस्मती के बाद की खुशकिस्मती। ममता को शर्मसार कर निर्मोही मां ने तो उसे मरने के लिये किस्मत के भरोसे सड़क किनारे छोड़ दिया, लेकिन किस्मत ने कुछ और ही मोड़ ले लिया। उसके रोने की आवाज भले लोगों को वहां ला खींच लायी और उसकी जान गयी। घटना बोकारो जिले के बेरमो अनुमंडल की है। महज अय्याशी और एेश मौज की खातिर बच्चा पैदा कर उसे फेंक कर एक मां ने जहां ममता को कलंकित कर दिया, वहीं पुलिस तथा समाज के लोगों ने इंसानीयत की बेजोड़ मिसाल पेश की। बच्चे को बाल कल्याण समिति के सुपुर्द कर इलाज के लिये बोकारो जेनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां बेबी केयर यूनिट में उसकी चिकित्सा की जा रही है।
*ड्राइवर ने किया बरामद, पुलिस संग लोगों ने दिखायी मानवता*
नवजात बच्चे की जिंदगी बचाने में स्थानीय लोगों के साथ-साथ पुलिस तथा बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने काफी गंभीरता व सजगता परिचय दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार सुबह के लगभग पांच बजे ढ़ोरी अमलो कांटा कांटा घर के पास सड़क किनारे झाड़ियों के बीच नाली में बच्चा लावारिस हालत में पड़ा रो रहा था। बच्चे के पास कुत्तों की भीड़ लग गयी थी। इसी क्रम में वहां शौच आदि के जा रहे स्थानीय एक हाइवा चालक बच्चे की रोने की आवाज सुन वहां पहुंच गया। उसने कुत्तों को भगाया और बच्चे को उठा लिया। इसके बाद वहां देखते ही देखते बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गयी। लोगों ने पुलिस को सूचित किया। सहायक अवर निरीक्षक रामेश्वर वर्मा और अन्य पुलिसकर्मियों ने स्थानीय लोगों की मदद से पहले बच्चे को केन्द्रीय अस्पताल, ढ़ोरी (फुसरो) में भर्ती कराया। इसके बाद मामले की जानकारी बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को दी गयी। सूचना मिलने पर सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष डा. विनय कुमार सिंह, सदस्य डा. प्रभाकर व सुधीर कुमार वहां पहुंचे। थाना की मदद से बच्चे को सीडब्ल्यूसी के हवाले किया गया। इस दौरान मौके पर सेंट्रल हास्पीटल के डा. कुमार अजय सिंह, बेरमो अंचलाधिकारी सुमन तिर्की, बेरमो इंस्पेक्टर सह थाना प्रभारी नोवेल कुजूर, एएसआई रामेश्वर वर्मा, आर. अंसारी आदि मौजूद थे। बच्चे की हालत को देखते हुए सीधे वहां से उसे बीजीएच लाया गया, जहां समाचार लिखे जाने तक उसका इलाज जारी है। सीडब्ल्यूसी सदस्य डा. प्रभाकर के अनुसार बच्चा खतरे से बाहर तथा स्वस्थ है।
*बच्चा मांगने वालों की लगी कतार*
बच्चे की बरामदगी के बाद उसे गोद लेने की इच्छा लिये कई लोगों ने अपने हाथ पसार दिये। बताया जाता है कि जिस हाइवा चालक ने बच्चे को झाड़ियों से उठाया, वह उसे गोद लेना चाह रहा था। सभी के सामने उसने अपनी इच्छा भी जतायी। शादी के 12 साल बाद भी उसे एक भी बच्चा नहीं है। इसके बाद जब बीजीएच में उसे लाया गया तो बच्चा मांगने वालों की भीड़ वहां लग गयी। सीडब्ल्यूसी सदस्य डा. प्रभाकर ने लोगों को समझा-बुझाकर वहां से हटाया। उन्होंने कहा कि बच्चा पहले पूर्णतया स्वस्थ होगा, फिर उसे किसी दत्तक एजेन्सी को सुपुर्द कर पूर्णतया वैधानिक तरीके से प्रावधानानुसार उसे गोद देने की प्रक्रिया होगी।
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