पटना।
बिहार में बाढ़ का कहर जारी है और इसमें अब तक मरने वालों की संख्या 41 हो चुकी है। इसकी पुष्टि आपदा प्रवंधन विभाग ने की है।बताया जा रहा है कि
12 जिलों के 65.37 लाख लोग बाढ़ की जद में हैं। बाढ़ से अररिया में 20, किशनगंज में 5, पूर्वी चंपारण ने 3, पश्चिमी चंपारण में 3, दरभंगा में 3, सीतामढ़ी में 6 और मधुबनी में एक व्यक्ति मौत की पुष्टि हुई है। वहीं 12 जिलों के 84 प्रखंड के 889 पंचायत के 65.37 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र से निकाले गए एक लाख 82 हजार 420 लोग निकाल लिए गए हैं। इनमें से 48120 लोगों 254 राहत शिविर में रखा गया है।
बाढ़ का ऐसा रौद्र रूप लोगों ने 1987 और उससे पहले भी नहीं देखा होगा।
बाढ़ की तबाही सोमवार को भी जारी रही। रविवार रात ऊंचे स्थानों पर काटने के बाद सुबह की पहली किरण के साथ ही लोगों का शहर से पलायन शुरू हो गया था। लोग खाने का सामान और जरूरी रोजमर्रा की चीजों को लेकर ऊँचे स्थानों की ओर पलायन करने लगे थे।
शहर के दूसरे हिस्से अररिया आरएस में बाढ़ का प्रकोप नहीं होने के कारण ज्यादातर लोगों उसी ओर जा रहे थे। एक साथ हजारों की संख्या में लोगों का पलायन दिल दहलाने वाला है। लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए विवश हैं। रविवार को घरों, दुकानों, कार्यालयों में घुसा पानी कम नहीं हुआ था। सुबह दस ग्यारह बजे तक किसी कुछ इलाकों में पानी कम जरूर हुआ था। लेकिन पानी के बढ़ने और घटने की स्थिति ऐसी थी कि लोग इसे राहत नहीं मान रहे थे। शहर के बीचों बीच एडीबी चौक पर पानी का बहाव काफी तेज था। आरएस क्षेत्र वार्डों और नहर के दूसरे ओर के शिवपुरी आदि को छोड़ कर सभी वार्ड डूबा हुआ था। लोग पलायन कर रहे थे। मारवाड़ी पट्टी, आजाद नगर, इस्लामनगर, भगटोला, हनुमतनगर, यादव टोला, खड़िया बस्ती, काली मंदिर और उसके आसपास का मुहल्ला डूबा हुआ है।
लोग छतों पर शरण लेकर बैठे हैं। सोमवार को हालाकिं सुबह से ही मौसम साफ है और धूप के कारण लोगों ने कुछ राहत की सांस ली है। दूसरी ओर प्रशासनिक टीम कहीं नहीं होने के कारण लोगों में आक्रोश बहुत है। सुबह में जिलाधिकारी हिमांशु शर्मा ने शहर के कुछ इलाकों का जायजा जरूर लिया लेकिन केवल खाना पूरी और कागजी रिपोर्ट के लिये। इसी तरह से स्थानीय विधायक अबिदुर्रहमान ने भी गाड़ी में बैठकर जायजा लिया। लोगों को उम्मीद थी कि रात बीतने के बाद प्रसाशन जरूर उनकी सुधि लेगा लेकिन दोपहर तक ऐसा नहीं हुआ। कुछ लोगों ने चर्चा जरूर की कि कोशकि क्षेत्र में कुछ नाव चलाया जा रहा है। और लोगों को बचाने की कोशिश हो रही है। हालांकि इसकी भी पुष्टि करने वाला कोई नहीं था। रविवार शाम में बैठक करके प्रसाशन ने क्या तय किया इसकी भी जानकारी मीडिया तक नहीं पहुंच पायी।
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