नवरात्र स्पेशल- नवरात्रों में नौ कन्या पूजन का औचित्य

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कौशिक घोष चौधरी

जमशेदपुर  

भारतवर्ष में नवरात्र हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला पवित्र त्यौहार है। यह लगभग पूरे देश में अनेक रूपों में मनाया जाता है। नवरात्रों के व्रत पूरे होने के बाद व्रत करने वाले नवरात्रि की  नवमी को छोटी लड़कियों की पूजा करते हैं। कन्या पूजा में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है।

छोटी लड़कियों की पूजा करने के पीछे बहुत सरल कारण छिपा हुआ है। जोकि आपकी सोच से परे है, तो चलिए आपको बताते हैं इसका  वास्तविकता का कारण –

 सम्पूर्ण विश्व शिव और शक्ति का स्वरूप है। छोटी लडकियां मासूम होती हैं। वे मनुष्य के रूप में देवी के शुद्ध रूप का प्रतीक हैं।

– हिंदू दर्शन के अनुसार एक कुंवारी लड़की शुद्ध बुनियादी रचनात्मक शक्ति का प्रतीक है।

– ऐसा माना जाता है कि कन्या पूजन के दौरान इन छोटी लड़कियों में देवी मां की शक्ति का अनुभव होता है।

– यदि छोटी लड़कियों की पूजा करते समय यदि आप समग्र भाव से उनमें देवी का स्वरुप देखें या स्वयं को पूर्ण रूप से उनके चरणों में समर्पित कर दें तो आपको लगेगा कि आपने देवी के चरण छू लिए हैं।

– नवरात्रि के दौरान देवी की शक्ति चरम सीमा पर होती है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के पहले देवी आराम करती हैं क्योंकि नवरात्रि के दौरान वह बहुत अधिक सक्रिय रहती है।

 दक्षिणा में क्या दें-

दक्षिणा को लेकर हम सभी के मन में तरह-तरह की भ्रांतियां है। अब नवरात्रि में कन्या भोजन और उनको दी जाने वाली दक्षिणा की ही बात करें तो मातृशक्ति की इस प्रतिनिधि को दक्षिणा देने से तात्पर्य यही है कि छोटी-छोटी बालिकाओं की पसंद की कोई वस्तु, कोई खिलौना या शिक्षा से संबंधित कोई वस्तु जैसे कलम, कहानी की किताब इत्यादि कुछ भी दिया जा सकता है। दक्षिणा से अभिप्राय ही यही है कि अपनी ‘दक्षता’ या सामर्थ्य के आधार पर हम श्रद्धा से जो कुछ भी समर्पण कर सकें, वही दक्षिणा है। हमारे शास्त्रों में ईश्वर या किसी भी श्रद्धेय आगंतुक को जो भी अर्पित करते हैं तो एक मंत्र समर्पित करते है, जिसके अंत में ‘प्रतिगृह्यताम’ शब्द आता है, जिसका अर्थ है, बदले में किसी वस्तु की अपेक्षा करना।

      1    दो वर्षकी कन्या को कौमारी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसके                पूजन से दुख और दरिद्रता समाप्त हो जाती है।

  1. तीन वर्षकी कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है। त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और संपूर्ण परिवार का कल्याण होता है।
  2. चार वर्षकी कन्या कल्याणी नाम से संबोधित की जाती है। कल्याणी की पूजा से सुख-समृद्धि मिलती है।
  3. पांच वर्षकी कन्या रोहिणी कही जाती है। रोहिणी के पूजन से व्यक्ति रोग-मुक्त होता है।
  4.  छह वर्षकी कन्या कालिका की अर्चना से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है।
  5. सात वर्षकी कन्या चण्डिका के पूजन से ऐश्वर्य मिलता है।
  6. आठ वर्षकी कन्या शाम्भवी की पूजा से लोकप्रियता प्राप्त होती है।
  7. . नौ वर्षकी कन्या दुर्गा की अर्चना से शत्रु पर विजय मिलती है तथा असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं।
  8. दस वर्षकी कन्या सुभद्रा कही जाती है। सुभद्रा के पूजन से मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख मिलता है।
  9. यह भी विधान है कि पहले दिन एक कन्या और इस तरह बढ़ते क्रम में नवें दिन नौ कन्याओं को नौ रात्रि के नौ दिनों में भोजन करवाने से मां आदि शक्ति की कृपा प्राप्त होती है।

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