नई दिल्ली- रेल मंत्रालय का नया फैसला

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रेल मंत्रालय ने क्षेत्रीय कार्यालयों को रेलों के आगमन और प्रस्थान से संबंधित जानकारी डेटा लॉगर्स में अद्यतन करने का निर्देश दिया

डेटा लॉगर (डेटा रिकॉर्डर) एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो अंतर्निहित उपकरण या सेंसर के साथ या बाह्य उपकरणों और सेंसर के माध्यम से समय के अनुसार या स्थान के अनुसार डेटा रिकॉर्ड करता है

सम्‍पूर्ण भारत के 41 स्टेशनों पर डेटा लॉगर्स के माध्यम से समय के अनुसार रेलों की आवाजाही को रिकॉर्ड किया जा रहा है

इस प्रणाली की सहायता से लगभग 80 प्रतिशत मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के आवागमन के समय की निगरानी की जा रही है

यह प्रणाली रेलों की समय की पाबंदी को बेहतर बनाएगी और यात्रियों को रेलों की रियल टाइम स्थिति के बारे में जानकारी मिलेगी
नई दिल्ली।

  सही आंकड़ों की जानकारी सुनिश्चित करने के लिए रेल मंत्रालय ने 41 बड़े रेलवे जंक्‍शनों पर  हस्‍तचालित जानकारी देने की प्रक्रिया को समाप्‍त कर दिया है।  रेलवे बोर्ड ने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को 1 जनवरी 2018 से डेटा लॉगर्स में रेलों के आगमन और प्रस्थान की जानकारी देने का निर्देश दिया है। निर्देश के तहत यह भी कहा गया है कि समयबद्धता के कम होने के भय का त्‍याग करते हुए वे प्रामाणिक जानकारी उपलब्‍ध कराएं।

डेटा लॉगर (डेटा रिकॉर्डर) एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जो अंतर्निहित उपकरण या सेंसर का उपयोग करके आंकड़ों को रिकॉर्ड करता है। हावड़ा, मुंबई सीएसटी, मुगलसराय, लखनऊ, कानपुर, चेन्नई सेंट्रल, अहमदाबाद और बेंगलुरु समेत 41 स्टेशनों में इस तरह के डेटा लॉगर्स उपलब्ध कराए गए हैं।

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भारतीय रेल का यह प्रयास है कि ट्रेनें सही समय पर चलें और यात्रियों को विश्‍वसनीय तथा सटीक जानकारी उपलबध हो। डेटा लॉगर्स स्‍टेशनों पर सिग्नल गियर्स की कार्यप्रणाली की निगरानी करता है। ट्रेनों के नियंत्रण के लिए ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क तैयार किये गये हैं और इन्‍हें क्षेत्रीय कार्यालयों के नियंत्रण केन्‍द्रों से जोड़ दिया गया है।

यह निर्णय लिया गया है कि डेटा लॉगर्स की सहायता से ट्रेनों के आवागमन संबंधी जानकारी स्‍वत: केन्‍द्रीय सर्वर में अपलोड हो जाएगी। इसके लिए अपडेट कंट्रोल ऑफिस एप्‍लीकेशन (सीओए) का उपयोग किया जा रहा है। इस उद्देश्य के लिए सीओए को ऑप्टिक फाइबर के माध्‍यम से प्रत्‍येक क्षेत्रीय कार्यालय के एक टर्मिनल स्‍टेशन तथा एक अन्‍य स्‍टेशन से जोड़ दिया गया है। पायलट परियोजना के तौर पर 17 टर्मिनल स्टेशनों और 17 अन्य स्टेशनों में इसे लागू किया गया है। यह प्रणाली 01 जनवरी, 2018 से कार्य कर रही है और इसके अंतर्गत कुल 41 स्टेशनों को शामिल किया गया है। (सूची संलग्न है)

लगभग 80 प्रतिशत मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की निगरानी इस प्रणाली द्वारा की जा रही है। इस प्रणाली को सभी टर्मिनल स्टेशनों में लागू करने की योजना है। इस प्रणाली के लागू होने से यात्रियों को विश्वसनीय और अद्यतन जानकारी प्राप्‍त होगी।

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