नई दिल्ली-रेलवे अनुपयोगी जमीन को वापस करेगा राज्य सरकार को

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झारखंड सहित 19 राज्यो के मुख्य सचिवो को रेलमंत्रालय ने लिखा पत्र

नई दिल्ली ।

रेल मंत्रालय नें अपनी खाली और बेकार जमीन को वापस राज्य सरकार को करेगी। इसको लेकर रेल मंत्रालय के द्रारा 13 राज्यों के राज्य के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा गया है, उनमें झारखंड, ओडिशा असम, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र शामिल हैं। पत्र में स्पष्ट रुप से लिखा गया है कि रेलवे से उस जमीन को वापस राज्य सरकार ले सकती है लेकिन बदले मे राज्य सरकार को बाजार दर के मुल्य पर रेलवे को उस जमीन का  भूगतान करना पड़ेगा।

जानकारी अनुसार भारतीय रेल ने अपने अधीन करीब 12000 एकड़ बेकार पड़ी जमीन की पहचान की है और अब इसे राज्य सरकारों को देने प्रस्ताव तैयार किया गया है। रेलवे की तरफ से इसके लिए राज्य सरकारों को पत्र लिखते हुए कि जनरल फाइनेंस रूल्स (जीएफआर) के वर्तमान प्रावधानों के तहत जमीन के हस्तांतरण के लिए कहा है। रेलवे के पास पड़ी हुई यह जमीन रेलवे की जरूरतों के अतिरिक्त है। इनमें से जमीन के कुछ टुकड़े तो भारतीय रेल के पास वर्ष 1900 से पहले से है। रेलवे बोर्ड के सदस्य (इंजीनिय¨रग) ने 13 राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिख कर इस प्रकार की जमीन के टुकड़े के संबंध में उनकी जरूरत के बारे में बताने को कहा है। इनमें से जमीन के अधिकतर टुकड़े रेल पटरियों से दूर स्थित है, जिसका उपयोग पहले मीटर गेज के लिए होता था। इनमें से कुछ साइडिंग या पुराने स्टेशनों की जमीन है, जिनका उपयोग रेलवे द्वारा बंद कर दिया गया है। रेलवे मंत्रालय के द्रारा  राज्य के मुख्य सचिव के दिए गए पत्र  के अनुसार, जमीन के ये टुकड़े राज्यों को या तो बाजार दर पर या फिर जमीन के बदले जमीन के आधार पर स्थानांतरित किए जाने की योजना है। भारतीय रेल ने 13 राज्यों में कुल 4883 हेक्टेयर अर्थात लगभग 12000 एकड़ जमीन की पहचान राज्य सरकारों को वापस करने के लिए की है। इन जमीन का उपयोग राज्य सरकार अपने लैंड बैंक में कर सकते हैं। इन जमीन का उपयोग राज्य सरकार विभिन्न उद्योगों की स्थापना, रोड, हाई-वे, बंदरगाह आदि के निर्माण के लिए कर सकेगी।

 

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