राहुल राज
जहानाबाद।
रेल यात्रियों को अब सावधान रहने की जरूरत है। खासकर गर्मी के मौसम में पानी को लेकर। जी हां, बात ही कुछ ऐसी है। ट्रेन मे बिक रहे पानी की बोतलें जरूरी नहीं कि मिनरल वाटर की ही हो। ऐसे में पैसा गंवाने के बाद यात्रियों को समझ में आ रहा है। गर्मी के मौसम में यात्रा वैसे ही कष्टकारी होता है। यात्रा जब रेल मार्ग से हो तो भोजन के साथ ही पानी की सख्त जरूरत पड़ती है। यात्रा के दौरान बोगियों में छोटे-छोटे बच्चे काम झाड़ू लगाते और भीख मांगते रहते हैं। इनमें से अधिकांश बच्चे नशे की लत से मजबूर हैं। ऐसे में अपनी नशा को पूरा करने में ये बच्चे यात्रियों की मजबूरी का भरपूर लाभ उठाते हैं। गर्मी में हाल-परेशान यात्री जब प्यास बुझाने के लिए कुछ सोचता है, उससे पहले ही ये बच्चे हाथ में बोतल लेकर यात्री के पास पहुंच जाते हैं और पैसे लेकर पानी की बोतल पकड़ा वहां से नौ दो ग्यारह हो जाते हैं। यात्री जब बोतल मुंह में लगाता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। मतलब साफ है, बोतल का पानी मिनरल वाटर नहीं होकर हैंडपंप और नल का होता है। ये बच्चे बोतलों का इंतजाम कूड़ा-कचरा में फेंके गये खाली बातलों से पूरा करते हैं। इसके बाद उक्त बोतलों में दूषित या अन्य पानी भरकर ट्रेनों में बेचने लगते है। प्यास से परेशान विशेषकर भीड़-भाड़ वाली सामान्य बोगियों में यात्रा करने वालों के हाथों में थमाकर अच्छा-खासा पैसा ले लेते है। यह पानी स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा नहीं होता, क्योंकि बोतलें भी गंदी होती है।
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