जयपूर -कार हादसा: मां बोली थी- कभी अकेला नहीं छोड़ूंगी, पर हमेशा के लिए चली गई बेटी

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जयपुर। राजस्‍थान के दौसा में गुरुवार रात भाजपा के सासंद हेमा मालिनी की मर्सडीज और एक साइकिल कारोबारी की ऑल्टो कार में हुई टक्कर से घायल हुईं शिखा को अभी भी नहीं पता कि उनकी डेढ़ साल की बेटी चिन्नी इस दुनिया में नहीं रही। उसने रोती हुई बेटी से वादा किया था कि वह उसे कभी अकेला नहीं छोड़ेगी। यह कहते हुए उसने चिन्‍नी को गोद में उठाया था और गोद में लिए ही कार में बैठ गई थी। पति हनुमान खंडेलवाल कार ड्राइव कर रहे थे। उनकी बगल वाली सीट पर शिखा और चिन्‍नी बैठी थीं।अचानक जैसे हवा का झोंका आया और मां की गोद से बेटी छिटक गई। एसएमएस अस्पताल के बिस्तर पर बेसुध सी लेटीं शिखा बार-बार पूछ रही हैं- मेरी चिन्नी कहां है। उसकी शक्ल तो दिखाओ, मेरे बिना वह रो रही होगी। लेकिन उन्‍हें कोई नहीं बता रहा कि अब चिन्‍नी हमेशा के लिए खामोश हो गई है।hmv_1435915295
शिखा के पति हनुमान दौसा के लालसोट में पिता से विरासत में मिली साइकिल की दुकान चलाते हैं। तीन साल पहले उनके पिता की मौत हो गई थी। तब से पूरे परिवार की जिम्मेदारी उन्हीं पर है। उनकी तीन बहनें हैं। सबसे छोटी बहन की शादी उन्‍होंने ही करवाई थी। इस बहन के बेटे के जन्म से जुड़े कार्यक्रम के लिए खरीददारी करने वह जयपुर आए थे। गुरुवार को बेटे शोमिल और बेटी चिन्नी को बुआ के घर छोड़कर वह और शिखा बाजार चले गए थे। लौटे तो चिन्नी सिसक-सिसक कर रोने लगी। मां शिखा ने उसे गोद में उठाया और बोली, चिंता मत कर आज के बाद कभी अकेला नहीं छोड़ूंगी। हमेशा अपनी गोद में ही रखूंगी। चिन्नी इसके बाद गोद से नहीं उतरी और गोद में ही बैठे-बैठे परिवार के साथ कार में बैठी थी। कार जयपुर से दौसा की ओर चली। रास्‍ते में हेमा मालिनी की मर्सडीज से टकरा गई। इसमें पूरा परिवार घायल हो गया और बच्‍ची की मौत हो गई।
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शिखा का इलाज जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में चल रहा है। हादसे के बाद वह बेहोश हो गई थीं। हालांकि, अभी उन्हें होश आ गया है, लेकिन घरवालों ने उनसे बच्ची की मौत की बात नहीं बताई है। उन्हें यही बताया गया है कि दोनों बच्चे सुरक्षित हैं और उनका इलाज चल रहा है। घरवाले हर संभव यही कोशिश कर रहे हैं कि शिखा को शक न हो। हनुमान का कहना है कि टक्कर के बाद उनकी बेटी कार से निकलकर बाहर गिर गई, जिससे उसे गहरी चोटें आई थीं।
हनुमान का कहना है कि हादसे के बाद 20-25 मिनट तक वे घटनास्थल पर ही मदद का इंतजार करते रहे। अगर उनकी बेटी को वक्त पर अस्पताल पहुंचा गया होता तो उसकी जान बच सकती थी। 

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