2013 के सर्वे के अनुसार शहर में 25000 कुत्तों में से 18000 कुत्तों के नसबंदी का रखा गया था लक्ष्य

संवाददाता
जमशेदपुरः आवारा कुत्तों की जनसंख्या को रोकने के लिए ह्युमन सोसायटी इंटरनेशनल (एचएसआई) और एनिमल हेल्प फाउंडेशन (एएचएफ) द्वारा जमशेदपुर कम्यूनिटी डॉग पॉप्युलेशन एंड रैबीज मैनेजमेंट प्रोजेक्ट (डीपीआरएम) के बीच अप्रैल 2013 को जमशेदजी टाटा ट्रस्ट व जुस्को के सहयोग से कुत्तों का नसबंदी करने के कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी. ताकि शहर में आवारा कुत्तों की जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सके. महज दो वर्षों में संस्था द्वारा 11000 कुत्तों का सफलता पूर्वक नसबंदी कर उन्हें उनके वास स्थान पर छोड़ा गया. संस्था दवारा जब इस प्रोग्राम की शुरूआत की गयी थी तो शहर में आवारा कुत्तों की संख्या 25000 के आसपास थी. संस्था द्वारा 18000 कुत्तों के नसबंदी करने का लक्ष्य लेते हुए काम शुरू किया गया था जिसके तहत महज दो वर्षों में शहर को 11000 आवारा कुत्तों का नसबंदी किया गया. समझौते के तहत यह कार्यक्रम तीन वर्षों का था. इस अवसर पर प्रोजक्ट के सीईओ एण्ड्रू रोवन ने कहा कि इतने कम समय में शहरवासियों व टाटा स्टील एवं जुस्को के सहयोग से बहुत ही महत्वपूर्ण पड़ाव को पार किया गया है.
कुत्तों को पकड़ने के लिए हाथों का ही होता है उपयोग
संस्थान के सीईओ ने बताया कि इस प्रोग्राम में मानवीय मुल्यों को ध्यान में रखते हुए सारी प्रक्रिया की जाती है. चिकित्सा से लेकर सारी प्रक्रिया में कुत्तों की सेहत का पूरा ख्याल रखा जाता है. सारी प्रक्रिया पूर्ण करके कुत्तों को वापस पकड़े गय़े स्थान पर छोड़ दिया जाता है.