जामताड़ा


स्वास्थ्य विभाग में फर्जीवारे का मामला परत दर परत खुलता जा रहा है. लेकिन विभाग अब तक नींद से जागी नहीं है. जाली सर्टिफिकेट पर लोग कई वर्षों से नौकरी कर रहे है और विभाग अंजान बना हुआ है. १२ लोग दूसरे के सर्टिफिकेट अपना फोटो लगाकर लगभग ५ वर्षों से सरकारी राशि का उठाव कर रहे है.
फर्जी सर्टिफिकेट पर स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करने का मामला प्रकाश में आया है. विगत ५ वर्षों से कई एएनएम फर्जी तरीके से नौकरी कर रही थी. ५ की सेवा समाप्त कर दी गई है और एफआईआर दायर कर वेतन रिकवरी की प्रक्रिया शुरू की गई है. अभी यह मामला पूरी तरह से निष्पादित भी नहीं हुआ की १२ और लोगों की फर्जी तरीके से नौकरी करने का मामला उजागर हुआ है.
जामताड़ा जिला वर्ष २०१०-११ में ए एन एम की नियुक्ति हुई थी. जिसमे फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी का मामला सामने आ गया. ५ वर्ष तक किसी भी उपायुक्त और सिविल सर्जन ने सर्टिफिकेट जांच करवाना मुइनासिब नहीं समझा. और लगातार फर्जी ए एन एम को वेतन मिलता रहा. गुप्त शिकायत मिलने के वर्तमान डीसी शशिरंजन सिंह ने मामले का जाँच करवाया और ५ लोग पकडे गए. जिनके विरुद्ध क़ानूनी कार्रवाई की जा रही है.
अभी यह मामला पूरी तरह से निपटा भी नहीं की १२ और लोगों की सूचि तैयार हो गई है. सूत्रों के अनुसार अमृता सिंह, संगीता कुमारी, कुमारी पिंकी, सुप्रिया कुमारी, कुमारी ऋतुरानी, आशा कुमारी, बबिता कुमारी, सविता कुमारी, प्रमिला कुमारी एवं मीना कुमारी का नाम भी सामने आया है. उक्त सभी कर्मी अन्य के सर्टिफिकेट पर अपना फोटो लगाकर जामताड़ा में ए एन एम की नौकरी कर रहे है.
हालांकि इस कार्रवाई से यह तो स्पष्ट हो गया है की जामताड़ा में फर्जी डिग्री पर नौकरी दिलाने वाला गिरोह सक्रीय है. इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है की इसमें विभागीय लोगों की संलिप्तता नहीं होगी. हालाँकि इस मामले में सिविल सर्जन डॉ वीके साहा ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.