जमशेदपुर-स्थानांतरित एवं अनट्रेसेबल मतदाताओं को जोड़ने हेतु व्यापक प्रचार और जागरूकता अभियान ज़रूरी : अंकित
जमशेदपुर।
पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में 29 हज़ार से अधिक वोटरों के पता ना मिलने के मामले को गंभीर बताते हुए भारतीय जनता पार्टी के जिला प्रवक्ता अंकित आनंद ने इसपर निर्वाचन निबंधक पदाधिकारी एवं जिला प्रशासन से माँग किया है कि वृहद पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया जाए। मंगलवार शाम जारी प्रेस-विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि जमशेदपुर पूर्वी समेत अन्य शहरी क्षेत्र के ज्यादातर लोग कंपनी में कार्य करने वाले हैं। ऐसे में अधिकांश कंपनी क्वार्टर टूटने से या स्थानांतरण अथवा सेवानिवृत्त होने के उपरांत लोगों का पता बदल जाने की संभावनाएं प्रबल है। इससे यह कहीं से भी प्रतीत नहीं होता कि इतने तादाद में वोटर फ़र्ज़ी हैं। भाजपा प्रवक्ता ने माँग किया कि वृहद पैमाने पर मतदाता पुनरीक्षण अभियान एवं वोटरों को जोड़ने तथा पता परिवर्तित करने के लिए विशेष शिविर के माध्यम से मतदाताओं को पुनः सूचीबद्ध करने की ज़रूरत है। जागरूकता एवं जानकारी के अभाव में अक्सर लोग समय पर वोटर कार्ड में ज़रूरी सुधार नहीं करा पातें। विशेष अभियानों के दौरान भी कई बार बीएलओ निर्धारित बूथों से ग़ायब रहे हैं। इससे यह सिद्ध नहीं होता कि वोटर फ़र्ज़ी हैं।
जेवीएम को वोट ना देने वाले मतदाता ‘फ़र्ज़ी’ नहीं : अंकित
पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 29000 से अधिक वोटरों का पता नहीं मिलने के मामले में झाविमो नेता अभय सिंह के फेसबुक पोस्ट को हास्यास्पद बताया है जिसमें झाविमो नेता में पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में 50000 से अधिक फ़र्ज़ी वोटर होने की बात कही है। मंगलवार शाम किये गए इस फेसबुक पोस्ट को लोकतंत्र और मतदाताओं का अपमान बताते हुए भाजपा के जिला प्रवक्ता अंकित आनंद ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। कहा कि मतदाताओं का स्थानांतरण होने से कोई फ़र्ज़ी नहीं होता। कहा वोटरों को फ़र्ज़ी कहकर लोकतंत्र का अपमान किया गया है, इसके लिए जेवीएम नेता जनता से माफ़ी माँगें। जेवीएम नेता के उक्त फेसबुक पोस्ट पर कटाक्ष करते हुए कहा गया कि जो मतदाता जेवीएम को वोट नहीं देतें उन्हें फ़र्ज़ी करार देना ओछी मानसिकता है और इससे परहेज़ करनी चाहिए। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि प्रशासन ने जो सूची विभिन्न राजनीतिक दलों को सौंपी है उसमें यह सुस्पष्ट रूप से वैसे मतदाताओं के लिए “परमानेंटली शिफ्टेड” एवं “अनट्रेसेबल” शब्दों अंकित किये गए हैं। कहीं से भी उनके फ़र्ज़ी होने की पुष्टि नहीं होती। वृहद जागरूकता अभियान एवं व्यापक प्रचार होने पर संभावना है कि इतने से अधिक संख्या में वोटर पुनः सूची से जुड़ पाएं।
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