‘मानव से साँप और साँप से मानव बचाओ अभियान’ शुरू
जमशेदपुर।
‘मानव से साँप और साँप से मानव बचाओ अभियान’ के तहत जाने माने सर्प विशेषज्ञ एनके सिंह ने आज कस्तूरबा बालिक विद्यालय पोटका में जागरुकता अभियान चलाया। यह अभियान उन्होंने ‘कविवर कौशल समाजसेवा’ नामक संस्था के साथ मिल कर चलाया। इस मौके पर 300 से ज्यादा छात्रायें और शिक्षिकायें मौजूद थीं।
अभियान की शुरुआत करते हुए ‘कविवर कौशल समाजसेवा’ संस्था के संस्थापक कविकुमार ने कहा कि भारत में साँपों की 270 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें से 60 प्रजाति के साँप जहरीले होते हैं। 60 में से 6 प्रजाति के साँप ज्यादा जहरीले होते हैं। इनके नाम कोबरा, करैत, रासल्स वाइपर, शाॅ स्केल्ड वाइपर, किंग कोबरा और पिट वाइपर हैं। भारत में हर साल ग्रामीण इलाके के 45 हजार लोगों की मौत साँपों के काटने से हो जाती है। कविकुमार ने कहा कि सिर्फ 6 ज्यादा जहरीले साँपों से इतनी अधिक मौत संभव नहीं लगती। सर्प विशेषज्ञों और डाक्टरों के मुताबिक ज्यादातर ग्रामीण साँप के जहर से नहीं वर्ना इस डर से मर जाते हैं कि उन्हें साँप ने काट लिया है। यह डर उनके हार्ट अटैक का कारण बनता है, जिससे उनकी मौत हो जाती है। झारखंड साँपों का राज्य माना जाता है। यहाँ भी साँप के डर से हार्ट अटैक हो कर बेमौत मारे जाने वालों की संख्या अधिक है। संस्था द्वारा इसके प्रति जागरुकता फैलाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
इस मौके पर जानेमाने सर्प विशेषज्ञ एनके सिंह ने छात्राओं के बीच साँपों का प्रदर्शन कर उनके मन से साँपों का डर निकाला। उन्होंने बताया कि साँप हमारे दुश्मन नहीं हैं अतः उनसे डरने की जरूरत नहीं। उन्होंने कहा कि साँप पर्यावरण के लिए उपयोगी है एक साँप पाँच मानव की जरूरत का आॅक्सीजन देता है। उन्होंने जहरीले साँपों और बिना जहर वाले साँपों की पहचान कराई। उन्होंने कहा कि नाग (कोबरा) साँप सबसे समझदार होता है वह बिस्तर में रात भर छुपा रह सकता है पर काटता नहीं। वह तभी काटता है जब उस पर भारी वजन पड़ता है। एनके सिंह ने कहा कि झारखंड का सबसे जहरीला साँप करैत मनुष्य को सोते समय काटता है तभी उसका जहर चढ़ता है। जहरीले साँप के काटने के बाद अगर मनुष्य डरे नहीं तो काफी देर तक जिन्दा रह सकता है तथा इलाज से उसे चंगा किया जा सकता है।
ग्रामीण बच्चियों को उन्होंने बताया कि ज्यादातर महिलाओं को साँप काटता है। उन्होंने कहा कि चूहे रसोई घर में अन्न खाने आते हैं और साँप चूहों को खाने उनके पीछे आता है। चूहों को खाने के बाद वह रसोई घर में बैठा रहता है। महिलायें लापरवाही से काम करते हुए साँप को चोट पहुँचाती हैं। जिससे वह उन्हें डँस लेता है। उन्होंने कहा कि खेत में साँप काटने के बाद अधिकांश ग्रमीण ओझा गुणी के पास जहर उतरवाने चले जाते हैं। ऐसा करने पर जहर को शरीर में फैलने का मौका मिलता है। इसलिए साँप के काटने पर बिना डरे अस्पताल में जाना चाहिए। श्री सिंह ने कहा कि ओझा गुणी वैसे ही लोगों को ठीक करते हैं जिन्हें विषहीन साँप ने काटा हो या विषैले साँप ने भोजन करने के बाद काटा हो क्योंकि अपने शिकार को मारने के बाद साँप का विष कम या खत्म हो जाता है। इसलिए मंत्र से साँप का जहर उतारने का अंधविश्वास त्याग देना चाहिए।
ग्रामीण बच्चियाँ और युवतियाँ शुरू में साँप को देख कर डर रही थीं। पर एनके सिंह द्वारा जागरुक करने के बाद उनकी हिम्मत बढ़ी और उन्होंने खुद अपने हाथों से साँप को पकड़ा। सबसे पहले साँप को पकड़ने की हिम्मत करने वाली ताइकांडो की प्रशिक्षिका गीता कुमारी को ‘कौशल समाजसेवा’ की ओर से प्रोत्साहन स्वरूप 500 रुपए दिए गए। बाद में बच्चियों ने साँप को छूने की होड़ लगा दी। उनके मन से साँप का डर निकल गया। छात्राओं ने एनके सिंह से साँपों के संबंध में कई तरह के प्रश्न किए जिनका उत्तर उन्होन दिया।
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