जमशेदपुर।
बिष्टुपुर स्थित PUCL कार्यालय में की एक बैठक हुईI इस बैठक के मुख्य अतिथि PUCL के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर प्रभाकर सिन्हा थेI श्री सिन्हा ने कहा कि १९७७ में UCLDR की स्थापना की गई और सन् १९८० में यह PUCL हो गयाI इसका मुख्य उद्देश्य था एक संस्था ऐसी हो जो राजनीती मुक्त हो ताकि विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग सिविल लिबर्टीज और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक मंच पर एक साथ आ साके। 1977 में आपात काल को हटा दिया गया और P की मौजूदगी में जनता पार्टी की सरकार बनी I बहुत बड़ी संख्या में लोग जिन्होंने उनके साथ काम किया था, वे केंद्र में सत्ता में शामिल हुए और एक धारना बनी कि अब लोगों की स्वतंत्रता सुरक्षित है पर ऐसा नहीं हुआ Iजनता पार्टी की सरकार जो की एक जन आन्दोलन की उपज थी पर धीरे धीरे महसूस होने लगा की सरकार किसी की भी हो वो सरकार होती है और मानव अधिकारों का हनन करती है I
श्री सिन्हा ने कहा की सालों से नागरिकस्वतंत्रताके लिएकार्यकर्ता काम करते रहे है फिर भी मानव अधिकार संघठनों की साख गिरती ही जा रही है और ये संघठन आम आदमी में अपना विश्वास कायम नहीं कर पा रहे है इसका मुख्य कारण है की हम सरकार और पुलिस की दमनकारी कार्यों की मुखालफत करते तो रहे है पर लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता में अपना विश्वास कायम नहीं कर सके I जनतांत्रिक देश होने बावजूद लोगों में काफी दूरी है और उन्हें बराबरी का दर्जा प्राप्त नहीं है I विदेशों में आम कर्मचारी भी मैनेजर का नाम लेकर संबोधित करते है पर हमारे देश में ऐसा नहीं है I भारत में इलेक्शन के वक़्त में ही जनता जनार्धन हो जाती है पर और समय उनकी क्या हालत रहती है किसी से छुपी नहीं है I अंत में श्री सिन्हा ने कहा की देश में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जहाँ अधिकारी को सर बोलने का कल्चर ख़त्म होना चाहिए और जनता से अधिकारी हाथ मिलाकर और कुर्सी से उठकर उनका स्वागत करें, ताकि सरकार और लोगो में समंवय का वातावरण पैदा हो सके I जनता के इस अधिकार के लिए PUCL को लड़ना होगा Iइस बैठक की अध्यक्षताप्रोफेसर जगदीश मिश्रा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर एम्. ए. मक्की ने किया I अधिवक्ता निशांत अखिलेश, प्रोफेसर एस होदा, अलोक कुमार, आई. ए. जौहर, अतुल सहाय, अश्वनी सहाय, कमलेश साहू, अधिवक्ता रोशन, मो. नवाब, बलराम आदि उपस्थित थे
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