चाईबासा।
आज ‘विकास’ शब्द सुनते ही आदिवासियों को क्यों डर लगता है? क्यों वे सरकार के वादों पर भरोसा नहीं करते हैं? क्या वे विकास नहीं चाहते हैं? क्या वे विकास विरोधी है? क्या वे देश की तरक्की नहीं चाहते हैं? इसका मूल कारण है कि सरकार बनने के बाद अब तक ‘विकास’, ‘आर्थिक तरक्की‘ एवं ‘राष्ट्रहित’ के नाम पर आदिवासियों से उनकी जमीन, जंगल, पहाड़, जलस्रोत एवं खनिज लूट लिया गया है। इस तथाकथित विकास की आंधी में 2 करोड़ 40 लाख आदिवासी विस्थापित हो चुके हैं, जिनका वादा के मुताबिक कोई पुनर्वास नहीं किया गया है। देश में एक भी परियोजना नहीं है, जहां विस्थापित आदिवासियों को न्याय मिला है। देश में पुनर्वास का एक भी अच्छा माॅडल स्थापित नहीं है। क्यों? आज केन्द्र एवं राज्य सरकारें आदिवासियों की बची-खुची जमीन, जंगल, पहाड़, जलस्रोज और खनिज को छीनने के लिए उन्हें नक्सली होने का तामगा दे रही हैं। क्या छत्तीसगढ़, ओडिसा और झारखंड के जंगलों में सुरक्षा बल आदिवासियों के सुरक्षा में लगाये गये हैं या टाटा, जिंदल, मितल, अडानी और अंबानी को प्राकृतिक संसाधन मुहैया कराने के लिए? यदि वे आदिवासियों के सुरक्षा के लिये हैं तो निदोर्ष आदिवासियों को क्यों गोली मार रहे हैं, महिलाओं के साथ क्यों बलात्कार कर रहे हैं और आदिवासियों पर क्यों अत्याचार कर रहे हैं? आदिवासियों की हत्या, बलात्कार और अन्याय पर राज्य सरकार चुप क्यों है? भाजपा सरकार के तीन साल के कार्यकाल पूरी तरह फेल उक्त बातें रविवार को चाईबासा परिसदन में प्रेसवार्ता को संबोधित करते कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डॉ प्रदीप कुमार बालमुचू ने कहा । मौके पर प्रदेश सचिव सह जिप उपाध्यक्ष चाँदमनी बालमुचू , जिला सचिव त्रिशानु राय , नगर अध्यक्ष सुनीत शर्मा , कृष्णा सोय , बिरसा कुंटिया , शिवकर बोयपाई , रामसिंह सावैयाँ ,अविनाश कोड़ा , संदीप सन्नी देवगम , दीनबन्धु बोयपाई , मुकेश कुमार , राजेश लागुरी , पूर्णचन्द्र कायम व अन्य उपस्थित थे ।
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