जमशेदपुर।
डॉ अजय कुमार ,राष्ट्रीय प्रवक्ता ,अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने निम्मलिखित बयान जारी किया I
गोड्डा ज़िले में अडानी पावर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया पर अविलंब रोक लगाया जाना चाहिए और राज्य सरकार ज़िला प्रशासन द्वारा इस पूरी प्रक्रिया में हुई बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के न्यायिक जांच की घोषणा करे उक्त बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ अजय कुमार ने प्रतिक्रिया स्वरूप प्रेस वक्तव्य जारी करते हुए कही ।
डॉ अजय कुमार ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि राज्य सरकार पूंजीपतियों ओर कॉपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर सत्ता का दुरुपयोग का कोई मौका नही छोड़ रही। उन्होंने कहा कि विगत छः महीने से गोड्डा में पोड़ैयाहाट और गोड्डा अंचल में सरकार के इशारे पर लगातार कंपनी के एजेंट के रूप में काम कर रही है ।
डॉ कुमार ने कहा कि गोड्डा ज़िले में जबसे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आरम्भ हुई है ग्रामीण इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं । ग्रामीणों के विरोध के कारण ही प्रस्तावित स्थल परसपानी अंचल पथरगामा में जिला प्रशासन को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे । डॉ कुमार ने कहा कि सरकार कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए यूपीए सरकार के द्वारा लाये गए भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन कर रही है , कृषि योग्य बहुफसलीय सिंचित भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है जिसमे सैंकड़ों गाँव के हज़ारों रैयत प्रभावित हो रहे हैं । प्लांट स्थापित करने के दुष्परिणामों पर भी सरकार ने अनदेखी की है , गौरतलब है कि उक्त क्षेत्र घनी आबादी वाला क्षेत्र है , यहाँ पानी के भंडारण की भी कोई व्यवस्था नही है , यदि पावर प्लांट की स्थापना होती है तो सैंकड़ों गाँव के लाखों लोग प्रभावित होंगे पलायन बढ़ेगा । रैयतों के विरोध के बावजूद सरकार के इशारे पर एक के बाद एक जनविरोधी निर्णय प्रशासनिक स्तर पर लिए जा रहे हैं ।
ज़िला प्रशासन ग्रामीणों पर अनुचित दबाव बनाकर अवैधानिक हथकंडे अपनाकर भयाक्रांत कर कंपनी के पक्ष रैयतों को तंग और तबाह करने में लगी है । डॉ अजय कुमार ने कहा कि अडानी ग्रुप ने 5000 एकड़ भूमि अधिग्रण के लिए आवेदन दिया है ।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने ज़मीन के पूर्व निर्धारित मूल्य 42.65 लाख प्रति एकड़ को रातोंरात कम कर 3.25 लाख प्रति एकड़ कर दिया यही कारण है कि मुआवज़े की रकम में भी भारी कमी हो गई , विधानसभा में मामला विपक्ष के द्वारा उठाने पर समिति का गठन भी किया गया पर पुनर्मूल्यांकन के समिति के द्वारा भी 6.25 लाख रुपये प्रति एकड़ से 12.25 लाख रुपये तक ही किया गया । अभी तक यह जांच के घेरे में है कि पूर्व के मूल्य को क्योंकर कम किया गया ।
डॉ अजय कुमार ने कहा कि राज्य सरकार ने ऊर्जा नीति के प्रावधानों को भी कंपनी के पक्ष में बदलने का कार्य किया है जो पूरी तरह से अवैधानिक है । झारखण्ड में लगनेवाले प्लांट के कुल उत्पादन क्षमता 1600 MW के 25% पर राज्य को First Right of refusal देना अनिवार्य होता में छूट देते हुए पूरी बिजली बांग्लादेश(विदेश) भेजे जाने की अनुमति का एकरारनामा कर लिया और इसके एवज में कंपनी द्वारा राज्य को दिए जाने वाले बिजली के दरों में भी छूट देने का निर्णय कर लिया । डॉ कुमार ने कहा कि इस प्रक्रिया में SPT एक्ट के प्रावधानों को भी नज़रंदाज़ कर एक घराना (अडानी) विशेष को लाभान्वित करने का प्रयास स्पष्ट परिलक्षित होता है और इसमें जनहित गौण हो जाता है ।
जनसुनवाई प्रक्रिया में भी प्रभावित ग्रामीणों रैयतों के विरोध के स्वर को लाठी गोली डर दिखा भयाक्रांत कर आनन फानन में प्रक्रिया कुछ मिनटों में पूरा किया जाना भी कई सवालों को जन्म देता है । उन्होंने कहा कि विधानसभा में इन अनियमितताओं को सरकार के द्वारा स्वीकार भी किया गया और तत्कालीन भू निर्देशक राजस्व की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन भी हुआ पर जाँच आज भी अधूरी है ।
अवैधानिक और अपूर्ण प्रक्रिया को अपनाते हुए जिस प्रकार से बगैर ग्रामीणों के सहमति के अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की गई है हम उसका पुरजोर विरोध करते हैं ।
डॉ अजय कुमार ने कहा की सरकार अविलंब भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर रोक लगाए साथ ही साथ इस प्रक्रिया की अनियमितताओं की जाँच उच्च न्यायालय के सीटिंग जज के
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