
कुछ का अशियाना उजड़ा तो कई के दुकानें रह गये कायम
सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा) से ब्रजेश भारती की विषेश रिपोर्ट:-
शुक्रवार को जब सहरसा-मानसी रेलखंड के सिमरी बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन परिषर में वर्षो से रेलवे की जमीन पर अपना अशियाना बना जीवन गुजर बसर करते चले आ रहें सैकड़ों गरीब लोगों के अशियाना व दुकानें पल भर में ही रेलवे परिषर सौन्द्रर्यकरण के नाम पर तोड़ा गया तो लोगों के दर्द सामने आ गये कि ये कैसा सौन्द्रर्यकरण जब कुछ का अशियाना उजाड़ दिया गया कुछ का छोड़ दिया गया। दिन भर भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जब अभियान की शुरूआत हुई तो लोगों को लगा कि रेलवे परिषर में सौन्द्रर्यकरण के लिये जिस जगह मिट्टी की भराई की गई है उसी के सामने अतिक्रमण को हटाया जाऐगा लेकिन ऐसा नही हुआ। सबसे पहले अभियान की शुरूआत स्टेशन परिषर के दक्षिण दिशा से कर दी गई जहां निहायत ही गरीब तबका के लोग जीवन यापन करने व निवास के लिये वसे है वैसे लोगों पर बुलडोजर चला दिया गया। सभी लोग अच्मभित हो गये कि अभियान तो उत्तर कि दिशा में चलना था तो इस ओर का क्या उद्देश्य है। हलांकि इन लोगों के अशियाना उजाड़ने के बाद अभियान उत्तर कि दिशा में भी शुरू किया गया लेकिन पुरे अभियान खत्म हो जानें के बाद इस अभियान पर सवाल उठ गया कि जिस सौन्द्रर्यकरण के नाम पर अभियान चलाया गया क्या वह पुरा हो गया ? चुकिं इस अभियान में जिन लोगों के पास रेलवे की रसीद थी उनलोगो के मकान व दुकान को छोड़ दिया गया । स्थानिय कई लोगों ने नाम नही छापने की शर्त पर बताया कि रेल अधिकारी भी मुंह देख कर काम हो रहा है । रेलवे अधिकारी का कहना है सौन्द्रर्यकरण होना है पर रसीद वाले का दुकान व मकान छोड़ दिया। जबकि हमलोगों को सौन्द्रर्यकरण के नाम तोड़ दिया गया ।इनलोगो का कहना था कि हमलोग भी बर्षो ले यहां रहते है हमलोगों को क्यो नही रसीद काटा जा रहा है । यह रेलवे की दौहरी निति है।

अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत शुक्रवार दिन भर सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन के आसपास दुकानों के साथ – साथ मकानों को भी बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया.इस दौरान बीते कई सालों से घर में रह रहे लोगो की आँखे गीली हो गई.स्टेशन चौक के निकट होटल गली में बीते कई वर्षों से रह रही जोहन मल्लिक की पत्नी मुन्नी देवी के आंसू रुक नही रहे.मुन्नी देवी बताती है कि बारह व्यक्तियों का परिवार बीते बीस साल से एक कुटिया बना जीवनयापन कर रहे थे और आज एक झटके में सड़क पर आ गये. वही मुन्नी देवी के पड़ोस में रहने वाली उपेंद्र सादा की पत्नी गीता देवी कहती है कि रेलवे ने हमे रोड पर ला दिया, अब कहाँ जाये और कैसे रहे समझ नही आता.वही मालगोदाम रोड में वर्षो से रह रही मंजू देवी एक सालो पुराने घर के आधे से ज्यादा हिस्से पर शुक्रवार दोपहर बुलडोजर चल गया.जिस वजह से शुक्रवार दिन भर मंजू देवी की आँखे भींगी रही.फफकते हुए मंजू देवी बताती है कि शादी, बच्चे सहित हर जीवन के हर ख़ुशी और गम का यह घर गवाह था और आज घर की ईंटो को बिखरते देख दिल बैठ गया.इधर, शुक्रवार दिन में होटल गली में अतिक्रमण हटाने के दौरान श्रवण गुप्ता की अस्सी वर्षीय माँ द्रोपदी देवी गिर गई.जिन्हें आनन-फानन में गिर गई जिन्हें रिक्शे से नजदीक के डॉक्टर के पास ले जाया गया.
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