बीजेएनएन व्यूरों ,नई दिल्ली 26 जनवरी,
डॉ. राम मनोहर लोहिया चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान और संस्थान (पीजीआईएमईआर) के 6वें स्थापना दिवस समारोह में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने भाग लिया।

इस मौके पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी देश में उपलब्धता, गुणवत्ता और कम खर्चीले उपचार की अपेक्षाएं होती हैं। भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की परिधि का विस्तार करने की कोशिशें लम्बें समय से की जा रही हैं, तो भी एक विश्व स्तरीय चिकित्सा सेवा व्यवस्था आम आदमी की पहुंच से अभी भी दूर बनी हुई है। उन्होंने चिकित्सकीय आपातकालीन हालात में लोगों को राहत पहुंचाने में स्वास्थ्य बीमा व्यवस्था के प्रभावी रुप से काम करने की आवश्यकता के महत्व पर बल दिया।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाभ पाने वाले लोग नकदी रहित उपचार के अधिकारी हैं। यह सुविधा व्यापक होनी चाहिए और इसे प्राथमिक, द्वितीय और सहायक चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में भी लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस सुविधा का लाभ देश के प्रत्येक गरीब आदमी को मिलना चाहिए।
राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि तकनीक पर आधारित चिकित्सा-क्षेत्र के जरिये उपलब्ध सेवाओं को ज्यादा कुशल तरीके से लागू किया जा सकता है। स्वास्थ्य की देखभाल की दिशा में तकनीकी उत्कृष्टता में काफी संभावनाएं विद्यमान हैं। बेहतर औषधि निमार्ण, आधुनिक चिकित्सा उपकरणों का स्वदेशी उत्पादन तथा पौष्टिक दवाओं का विकास एवं रोगों पर निगरानी की व्यवस्था, ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर नए अनुसंधान की जरूरत है। राष्ट्रपति ने कहा कि पीजीएमईआर का कर्तव्य है कि वह युवा डॉक्टरों में मानवीय दृष्टिकोण को बढ़ावा दे तथा दवाओं के क्षेत्र में मूल्य आधारित कैरियर की दिशा में उन्मुख करें। उन्होंने उम्मीद जताई की डॉक्टर समाज के प्रति निस्वार्थ सेवा के उच्चतर लक्ष्य की ओर अग्रसर होंगे।