कौशिक घोष चौधरी
जमशेदपुर ।
हिंदू मान्यता के अनुसार मां दुर्गा का भगवान शिव से विवाह होने के बाद जब वह अपने मायके लौटी थीं और उस आगमन के लिए खास तैयारी की गई। इस आगमन को महालया के रूप में मनाया जाता है।जबकि बांग्ला मान्यता के अनुसार महालया के दिन मां की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार, मां दुर्गा की आंखों को बनाते हैं जिसे चक्षुदान भी कहते हैं, जिसका मतलब है आंखें प्रदान करना। सौर आश्विन के कृष्णपक्ष का नाम महालया है। इस पक्ष के अमावस्या तिथि को ही
महालया कहा जाता है।माता दुर्गा के आगमन के इस दिन को महालया के रूप में भी मनाया जाता है। महालया के अगले दिन से मां दुर्गा के नौ दिनों की पूजा के
लिए कलश स्थापना की जाती है इसके साथ ही देवी के नौ रूपों की पूजा के साथ नवरात्रि की पूजा शुरू हो जाती है।तिथि के अनुसार कल महालया के अगले दिन से दुर्गा पूजा के लिए कलश स्थापन किया जाएगा। फिर क्रमशः माता शैलपुत्री से लेकर माता सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाएगी।
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