बगैर सुरक्षा घेरे के झारखंड विधानसभा के स्पीकर

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रांची – जो आदमी अध्यक्षीय पीठ पर बैठकर सदन में सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष
के सभी 81 विधायकों को संरक्षण देता है, उस स्पीकर की सुध लेने वाला कोई
नहीं। स्पीकर के प्रोटोकाल के सवाल पर विधानसभाध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता
ने अपनी सुरक्षा वापस कर दी किंतु सदन के 81 सदस्यों में से किसी ने भी
उनसे इस संबंध में फोन पर भी बात करना उचित नहीं समझा। पिछले दस दिनों से
वे बिना सुरक्षा के ही न केवल विधानसभा जा-आ रहे हैं, अपितु इसी बीच वे
एक बार जामताड़ा-सारठ भी इसी हाल में हो आए। 1 इस संबंध में उनको सोमवार
को कुरेदा गया तो बोले, स्थिति विकट है लेकिन यह मसला हल होकर ही रहेगा।
फिर एक फिल्मी गाने की पंक्तियां बोलते-बोलते रुककर कहा, इट हैपन्स ओनली
इन झारखंड। बकौल भोक्ता, तेरह वर्षो में न तो सरकारों ने, न ही
अधिकारियों ने यह जानने-समझने की कोशिश की कि स्पीकर का भी प्रोटोकॉल
होता है। गवर्नर, मुख्यमंत्री, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आदि के लिए
प्रोटोकॉल निर्धारित है। स्पीकर कहां ठहरते हैं? उनसे जब यह पूछा गया कि
सरकार की ओर से भी किसी ने आपसे संपर्क किया कि नहीं तो वे दबे मन से
बोले, हां यह सही है कि सुरक्षा लौटाने के बाद से अब तक और तो और
मुख्यमंत्री या संसदीय कार्य मंत्री तक ने भी नहीं पूछा कि बात क्या है।
ऐसे में सीएस या डीजीपी से उम्मीद ही करना बेमानी है। भोक्ता ने कहा,
राजनीतिक अस्थिरता और अब तक की सरकारों की स्थिति ने नौकरशाही को सिरचढ़ा
बना दिया। स्पीकर भी लाचार बना दिए गए हैं। पूर्ववर्ती विधानसभाध्यक्षों
ने भी गौर नहीं किया। यह जानते हुए कि मेरी पारी अत्यंत सीमित है, मैं
इसको यादगार तो बना ही दूंगा। 1श्याम किशोर चौबे, रांची 1जो आदमी
अध्यक्षीय पीठ पर बैठकर सदन में सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष के सभी 81
विधायकों को संरक्षण देता है, उस स्पीकर की सुध लेने वाला कोई नहीं।
स्पीकर के प्रोटोकाल के सवाल पर विधानसभाध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने
अपनी सुरक्षा वापस कर दी किंतु सदन के 81 सदस्यों में से किसी ने भी उनसे
इस संबंध में फोन पर भी बात करना उचित नहीं समझा। पिछले दस दिनों से वे
बिना सुरक्षा के ही न केवल विधानसभा जा-आ रहे हैं, अपितु इसी बीच वे एक
बार जामताड़ा-सारठ भी इसी हाल में हो आए। 1 इस संबंध में उनको सोमवार को
कुरेदा गया तो बोले, स्थिति विकट है लेकिन यह मसला हल होकर ही रहेगा। फिर
एक फिल्मी गाने की पंक्तियां बोलते-बोलते रुककर कहा, इट हैपन्स ओनली इन
झारखंड। बकौल भोक्ता, तेरह वर्षो में न तो सरकारों ने, न ही अधिकारियों
ने यह जानने-समझने की कोशिश की कि स्पीकर का भी प्रोटोकॉल होता है।
गवर्नर, मुख्यमंत्री, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आदि के लिए प्रोटोकॉल
निर्धारित है। स्पीकर कहां ठहरते हैं? उनसे जब यह पूछा गया कि सरकार की
ओर से भी किसी ने आपसे संपर्क किया कि नहीं तो वे दबे मन से बोले, हां यह
सही है कि सुरक्षा लौटाने के बाद से अब तक और तो और मुख्यमंत्री या
संसदीय कार्य मंत्री तक ने भी नहीं पूछा कि बात क्या है। ऐसे में सीएस या
डीजीपी से उम्मीद ही करना बेमानी है। भोक्ता ने कहा, राजनीतिक अस्थिरता
और अब तक की सरकारों की स्थिति ने नौकरशाही को सिरचढ़ा बना दिया। स्पीकर
भी लाचार बना दिए गए हैं। पूर्ववर्ती विधानसभाध्यक्षों ने भी गौर नहीं
किया। यह जानते हुए कि मेरी पारी अत्यंत सीमित है, मैं इसको यादगार तो
बना ही दूंगा। 1
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