प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज संसद भवन में डीजल से बैट्री इलेक्ट्रिक चालित बस के रूप में बदली गई बस के प्रोटोटाइप लाँचिंग समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रदूषण हमारे दैनिक जीवन में गंभीर चिंता का विषय बन गया है और इस समस्या का समाधान ढूंढना आज सबसे बड़ी चुनौती है। हाल में पेरिस में संपन्न सीओपी-21 बैठक की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में उठाए गए दो कदमों- ‘मिशन इनोवेशन’ तथा 120 देशों का वैश्विक सौर गठबंधन के बनने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण स्वच्छ इलेक्ट्रिक चालित बसे प्रदूषण से मुकाबला करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। प्रधानमंत्री ने रेट्रोफिट इलेक्ट्रिक बस को ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम का उपहार बताया और युवाओं से सस्ती और टिकाउ बैट्री बनाने में आगे आने को कहा ताकि हमारी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में शामिल करने के लिए और इलेक्ट्रिक बसें बनाई जा सकें।


प्रधानमंत्री ने पहली रेट्रोफिट बस की चाबी लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन को सौंपी। यह बस संसद सदस्यों के लिए चलाई जाएगी।
इस अवसर पर सड़क परिवहन तथा राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा कि कम लागत की प्रदूषण मुक्त रेट्रोफिट इलेक्ट्रिक बसें ‘मेक इन इंडिया’ और वाहन प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार के संकल्प को दिखाती है। उन्होंने कहा कि इसरो लीथियम-इऑन बैट्री बना रहा है, जिसकी कीमत केवल 5 लाख रुपए होगी। आयातित बैट्री की कीमत 50 लाख रुपए हैं। उन्होंने सांसदों से अधिक से अधिक इस बस का इस्तेमाल करने और इसे लोकप्रिय बनाने का आग्रह किया।
डीजल बसों के नुकसानदायक उत्सर्जन से बढ़ रहे प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों में बदलने का कार्यक्रम शुरू किया है। इलेक्ट्रिक बसें शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन के रूप में पर्यावरण अनुकूल मानी जाती हैं। उन्होंने बताया कि विभिन्न राज्य परिवहन प्रतिष्ठानों के कार्यक्रम में नई इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करना है। डीजल से इलेक्ट्रिक बस में बदली गई बसों की लागत नई इलेक्ट्रिक बस की लागत से एक चौथाई ही होगी।
बदली गई बसें केंद्रीय सड़क परिवहन संस्थान (सीआईआरटी) की पाइलट परियोजना का हिस्सा हैं। यह परियोजना वाहन प्रदूषण कम करने के सरकार के संकल्प को व्यक्त करती है और पर्यावरण अनुकूल परिवहन साधन को अपनाएगी। प्रोटोटाइप सीआईआरटी की सलाह से केपीआईटी, पुणे द्वारा विकसित है। टेक्नोलॉजी पूरी तरह भारत द्वारा विकसित की गई है। मार्च, 2016 तक राज्य परिवहन प्रतिष्ठानों के उपयोग के लिए 10 और रेट्रोफिट बसों का प्रस्ताव है। पाइलट परियोजना की सफलता का मूल्यांकन करने के बाद बड़े पैमाने पर डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों में बदलने का काम शुरू किया जाएगा।
इस अवसर पर संसदीय कार्य तथा शहरी विकास मंत्री श्री वैंकेया नायडू, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रकाश जावडेकर, सड़क परिवहन और शिपिंग राज्य मंत्री श्री पोन राधाकृष्णन तथा अनेक संसद सदस्य उपस्थित थे।