दिल्ली विधानसभा चुनाव-केजरीवाल का अति विरोध “आप”के लिए हो सकता है फायदेमंद

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चुनाव प्रचार खत्म,मतदान ७ फरवरी को
विजय सिंह,बी.जे.एन.एन.ब्यूरो,नई दिल्ली ,६ फरवरी ,२०१५
दिल्ली विधानसभा के लिए मतदान कल यानि ७ फरवरी को होना है.७० सीटों वाली विधानसभा के लिए  साल भर  के बाद ही हो रहे चुनाव  में तीन प्रमुख पार्टियां  भाजपा ,आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मुख्य रूप से जोर आजमाईश कर रहीं  हैं.भाजपा और आम आदमी पार्टी में ही मुख्य मुकाबला माना जा रहा है.चुनाव प्रचार के दौरान एक से बढ़ कर एक आरोप प्रत्यारोप और शब्दों के तीर एक दुसरे पर चलाये गए.पूरे चुनाव प्रचार और राजनीतिक सरगर्मी के बीच सभ्यता और गरिमा लगातार नीलाम होती रहीं.कहीं कोई परहेज नहीं.कोई दायरा नहीं. दिल्ली के पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने में सफल रहे थे,परन्तु ४९ दिनों में ही बिना किसी ठोस वजह के हड़बड़ी में  इस्तीफा देकर अपरिपक़्व राजनीतिज्ञ का परिचय दिया था. भाजपा  ज्यादा सीटें लेकर भी पूर्ण बहुमत और सत्ता से दूर रह गयी थी. इस बार भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.   शायद यही कारण है कि देश की पहली महिला पुलिस अधिकारी (भारतीय पुलिस सेवा) किरण बेदी को भाजपा में शामिल कराकर मुख्य मंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया.लेकिन जिस तरह से भाजपा गोलबंद होकर आप के सर्वे सर्वा अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ चक्रव्यूह रचने की कोशिश कर रही है   ,वह समझ से पर है.
भारतीय राजनीति के इतिहास में विगत लोक सभा चुनाव के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत तौर पर लगभग सभी पार्टियों ने जितने हमले किये ,शायद किसी एक व्यक्ति पर उतना राजनीतिक प्रहार कभी नहीं हुआ. लेकिन जितना ज्यादा विरोध नरेंद्र मोदी ने झेला उतना ही ज्यादा मजबूत होते चले गए और आज देश के प्रधानमंत्री हैं. ७ फरवरी को होने वाले दिल्ली के चुनाव के पहले अरविन्द केजरीवाल पर भी चौतरफा हमले हो रहे हैं..कहीं इतिहास दुहराने की सुगबुगाहट तो नहीं है?

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