
संवाददाता,रांची,28 दिसबंर
झारखंड में 10वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले रघुवर दास को टाटा स्टील के एक साधारण मजदूर से लेकर सत्ता की इस उंचाई तक पहुंचने के क्रम में कई संघर्षाें का सामना करना पड़ा। तीन मई 1955 में जन्मे रघुवर दास की प्रारंभिक शिक्षा 10वीं कक्षा तक जमशेदपुर स्थित भालूबासा हरिजन विद्यालय में हुई। जमशेदपुर को-आॅपरेटिव काॅलेज से ही उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की। श्री दास 1977 में जनता पार्टी के सदस्य बने और 1980 में भाजपा की स्थापना के साथ ही सक्रिय राजनीति में आये और मुंबई में पार्टी प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन में हिस्सा लिया। बाद में उन्हें जमशेदपुर में सीतारामडेरा मंडल का अध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने जमशेदपुर महानगर समिति में महामंत्री और उपाध्यक्ष का पद भी संभाला। 1995 में पहली बार वे जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और विधायक बने। वर्ष 2000 में एकीकृत बिहार में ही दूसरी बार जमशेदपुर पूर्वी जीत हासिल की। 15नवंबर से 17 मार्च 2003 तक वे राज्य के श्रम मंत्री रहे और मार्च 2003 से 14 जुलाई 2004 तक वे भवन निर्माण मंत्री रहे। जबकि जुलाई 2004 से मई 2005 तक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे। 12 मार्च 2005 से 14 सितंबर 2006 तक वे वित्तमंत्री रहेे, जबकि 19 जनवरी 2009 से 25 सितंबर 2009 तक उन्हें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद की जिम्मेवारी दी गयी। 30 दिसंबर 2009 20 मई 2010 तक वे प्रदेश के उपमुख्यमंत्री रहने के साथ ही वित्त, नगर विकास, आवास व संसदीय कार्य मंत्री रहने का अवसर मिला। 14 अगस्त 2014 को उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया।

झारखंड में रघुवर दास मंत्रिमंडल में शामिल नीलकंठ सिंह मुंडा ने खूंटी सीट से लगातार चैथी बार जीत हासिल की है और उन्हें पूर्व में भी एक बार मंत्री रहने का अवसर मिल चुका है। मुख्यमंत्री रघुवर दास के बाद शपथ लेने वाले नीलकंठ सिंह मुंडा को पार्टी के अंदर एक प्रमुख आदिवासी चेहरा माना जाता है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता सीपी सिंह ने 1975 के जेपी आंदोलन से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। जेपी आंदोलन में वे जेल भी गये और बाद में आरएसएस से निकटवर्ती संबंध बनाये रखने के साथ ही भाजपा के सक्रिय कार्यकत्र्ता के रूप में काम किया। वे रांची विधानसभा सीट से पांच बार चुनाव जीते और विधानसभा अध्यक्ष रहने का भी उन्हें गौरव प्राप्त हुआ।
झारखंड में रघुवर दास मंत्रिमंडल में जगह पाने वाले चंद्रप्रकाश चैधरी सेंट्रल कोलफील्ड्स लि. की नौकरी छोड़कर राजनीति में आये और इससे पहले भी उन्हें मंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ है।
दुमका विधानसभा क्षेत्र में निवर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गहरी शिकस्त देनेवाली भाजपा की डा. लुईस मरांडी ने झारखंड की राजनीति में नया इतिहास लिख दिया है। डा. मरांडी का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। डा. मरांडी का जन्म दुमका सदर प्रखंड के साधन विहीन बड़तल्ली गांव में 8 जून 1965 में स्व. मुंशी मरांडी के घर-आंगन मंें हुआ था। पिता साधारण किसान थे। डा. मरांडी ने प्रारम्भिक शिक्षा अपने गांव के निकट गांदो प्राथमिक विद्यालय में प्राप्त की। इसके बाद हाई स्कूल स्तर की शिक्षा के लिए अभिभावकों ने दुमका के महारो स्थित मिशन स्कूल में उनका दाखिला कराया। वहां से 1982 में अच्छे अंक से मैट्रिक की परीक्षा में उर्तीण हुई। इसके बाद डा. मरांडी ने उच्च स्तर की शिक्षा संतालपरगना महिला महाविद्यालय से प्राप्त की। स्नातक स्तर तक की पढ़ाई पुरी करने के बाद वह रांची चली गयी, जहां से ह्यूमिनीटी संताली भाषा से एमए और पीएचडी की डिग्री हासिल की। शिक्षा के दौरान 1985 में डा. मरांडी पाकुड़ जिले के सहरकोल गांव निवासी बेन्टच्यूस किस्कू के साथ परिणय सूत्र में बंध गयी। पारिवारिक जीवन में प्रवेश के बावजूद डा.लुईस शिक्षा के साथ सामाजिक कार्यों से जुड़ी रहीं।
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