जमशेदपुर। श्री श्री सद्गुरू परमहंस स्वामी अद्वैतानन्द सरस्वती जी महाराज 6 अप्रैल सोमवार वृन्दावन शाखा विजय मिलन मठ (भद्रासन) में अपनी मानव लीला संपन्न करके महासमाधी प्राप्त कर गये। इस अवसर पर देश विदेश के भक्त और शिष्यगण व्याकुल चित्त और आश्रृपूर्ण नयनों से शीघ्र गति से पहँुचे। श्री सद्गुरू महाराज की पार्थिव दिव्य मंगल विग्रह को दर्शनार्थ 9 अपै्रल प्रातः काल तक भद्रासन में रखा गया था। जप ध्वनि, भजन कीर्तन एवं वेद घोष से वातावरण गूंज उठा। स्वामी प्रज्ञानंद सरस्वती, बह्मचारी वैकुण्ठ चैतन्य, श्री शम्भू बंदोपाध्याय और अनन्त चैतन्य के कर कमलों द्वारा शास्त्रोक्त् मंत्रोच्चारण करते हुये, साधवी सुखदा चैतन्य के करूणामय परिवेक्षण में, वानप्रस्थी डाॅ. एम.वी.के. राव, श्री विपुल एवं श्री विद्यासागर के सहयोग से एवं सभी भक्तजनों के भाव पूर्ण श्रृद्धांजली के साथ महाराज जी का दिव्य शरीर समाधिस्त किया गया।
श्री सद्गुरूवाणी, ‘‘मैं समाधिस्त कब नहीं था ?’’
देव दर्शनी, काणाताल, टिहरी (गढ़वाल) स्थित मूलाश्रम विजय मिलन मठ, भगवान आशुतोष मंदिर, विजय मिलन मठ, राधारानी धाम कृष्णा नगर जांगीपाड़ा (पश्चिम बंगाल) एवं विजय मिलन सेंटर पैरिस में भी भजन संकीर्तन, सत्संग एवं जागरण से भक्तों ने अपनी श्रृद्धा व्यक्त की। विजय मिलन मठ देव दर्शनी (टिहरी, उत्तराखण्ड) में सवत्स, सदुग्ध एवं सालंकृत धेनु का दान दिया जायेगा एवं वृंदावन में सोलहवे दिन को सोलह सन्यासियों को षोडष दान से पूजन किया जायेगा और भण्डारा का आयोजन भी होगा।
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