जमशेदपुर।11मार्च
उत्कल एसोसिएशन, साकची, जमशेदपुर के तत्वावधान में ओड़िआ मातृभाषा दिवस मनाया गया । इस अवसर पर कोल्हान युनिभर्सिटी के परिक्षा नियंत्रक डॉ प्रभात कुमार पाणी मूख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे । मूख्य वक्ता के रूप में TSPDL के Head – Procurement सिद्धार्थ दाश उपस्थित थे तथा सम्मानित अतिथि के रूप मे ग्राजुएट काॅलेज के डा प्रभात नलिनी महांती उपस्थित थी । सभा की अध्यक्षता एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीकान्त पति ने किया । श्री पति ने बताया कि हमें झारखंड में रहने पर गर्व महसूस होता है क्योंकि आज यहाँ के राज्यपाल ओड़िआ है तथा साथ साथ मूख्य विचारपति एवं पुलिस महानिदेशक भी ओड़िआ हैं जो हमारी पहचान को ओर अधिक मजबूत करता है । हम मंच का संचालन एसोसिएशन के महासचिव श्री तरूण कुमार महांती ने किया । अतिथिओं ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया । मूख्य अतिथि ने कहा कि ओड़िआ भाषा बहुत ही प्राचीन भाषा है । आज लगभग साढे चार करोड़ से ज्यादा लोग ओडिआ बोलते हैं । ओडिसी नृत्य का सारे विश्व में एक अलग पहचान है । मूख्य वक्ता ने बताया कि ओड़िआ भाषा शास्त्रीय मान्यता पाने वाली भारत की छठवीं तथा उत्तर भारत की पहली भाषा है । ओड़िआ भाषा भारत में 2500 वर्षों से अधिक वर्षों से प्रचलित है। वौध धर्म के त्रिपिटक एवं जैन धर्मग्रन्थ के मूल भाषा भी ओड़िआ ही था । इस अवसर पर उत्कल एसोसिएशन के सभी सदस्य के साथ साथ कामीनी कांत बोस, सच्चीदा नन्द दाश,बादल भूयाँ,बद्री नारायण स्वाईन,पवित्र मोहन जेना,सौमेन्द्र भुयाँ,जयन्त पशायत,प्रशांत महांती, मनोरंजन गौड, विभुती महांती, प्रमोद साहु, बिदुभूषण भुयाँ, काशीनाथ पंडा, आदित्य कबि, रेणुबाला मिश्र,निर्झरिणी महांती , बिजय लक्ष्मी दास, सुदाम रणा, किशोर नायक, मनोज साहु आदि उपस्थित थे । इस अवसर पर एक ओड़िआ भाषा-संस्कृति पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया था । इस विचार गोष्ठी मे स्थानिय विद्यालयों एवं कालेज के शिक्षाविदों ने भाग लिया तथा प्राचीन ओड़िआ साहित्य संस्कृति एवं वर्तमान झारखंड मे ओड़िआ शिक्षा में आने वाले दिक्कतें के बारे मे चर्चा की गई ।इस चर्चा की अध्यक्षता ड़ा प्रभात नलिनी महांती ने की। धन्यवाद् ज्ञापन बादल भुयाँ ने किया ।
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