सरायकेला-मौसमी बुखार से दर्जनों ग्रामीण पिड़ीत, एक मासूम बच्ची समेंत दो की मौत)

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स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता, दलमा तराई के दर्जनों ग्रामीण गवांई जान
सरायकेला-खरसवॉ।

चांडिल। प्रखंड के दलमा तराई क्षेत्र में कभी डायरिया , मलेरिया, तो कभी मौसमी बुखार या किसी अन्य बिमारी का प्रकोप लगातार जारी है. स्वास्थ्य विभाग के उदासीनता के कारण साल भर में दर्जनों ग्रामीण अपनी जान गवां चुके है. सभी बिमारीयों से ग्रामीणो के बचाव को लेकर सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनायें संचालित किया जा रहा है. जिसके लिए सालाना लाखो-करोड़ो रूपये खर्च होती है. लेकिन धरातल पर योजनाओं की राशि को खर्च किया जाता है या केवल कागजी काम से खर्च का ब्योरा दिया जाता है, ये सवाल आज दलमा तराई क्षेत्र में बसोवास करने वाले ग्रामीणो के जुबां पर है. सरायकेला खरसवॉ के चाण्डिल प्रखंड के चिलगु पंचायत अन्तर्गत काठजोड़ गांव के साथ साथ कई गांव में मौसमी बिमारी का प्रकोप चरम पर है. मौसमी बुखार के कारण अब तक एक बच्ची व एक महिला की मौत हो चुकी है. लेकिन अब तक स्वास्थ्य विभाग के तमाम कर्मचारी चैन की नींद सो रहे है. काठजोड़ गांव के सुनिता सिंह (5), बलराम सिंह (61), कमला देवी (55), देवी कालिन्दी (18), कल्लावति सिंह (63), लखीकांत सिंह (65), गिरीवाला सिंह (3), समर सिंह (5), सोमवारी सिंह (45) समेंत दर्जनों ग्रामीण बच्चे, बुजूर्ग, महिला मौसमी बुखार से पिछले तीन-चार दिनों से पिड़ीत है. बुखर पिड़ीतों की स्थिति कॉफी गंभीर है. पिछले दिनो काठजोड़ निवासी जलधर सिंह की बेटी बुखार से कराहती हुई चार वर्षीय बच्ची बुद्वेश्वरी सिंह की मौत हो गई. इससे कुछ दिन पूर्व पचपन वर्षीय महिला सुमित्रा कालिन्दी भी अपनी जान गवां चुकी है. इसके बावजुद स्वास्थ्यकर्मी सबक नही ले रहे है.
स्वास्थ्य विभाग के उदासीनता के कारण दर्जनों की हो चुकी है मौत : पिछले वर्ष से लेकर अब तक दलमा तराई क्षेत्र के काठजोड़, माकुलाकोचा, कदमझोर, तुलिन व चाकुलिया गांव में अब तक विभिन्न प्रकार की बिमारीयों के चपेट में आकर दर्जनों ग्रामीण अपनी जान गवां चुके. पिछले वर्ष भी मलेरिया से पिडी़त दो आदिम जनजाति सबर बच्चे की मौत ईलाज के अभाव के कारण हो चुकी है. विगत कुछ माह पूर्व चाकुलिया के शिवचरण महतो की चार वर्षीय पुत्री की मौत भी ईलाज की सुविधा नही मिलने के कारण हुई थी.इसके बावजुद स्वास्थ्य विभाग क्षेत्र के लिए किसी भी प्रकार की विषेष चिकित्सा व्यवस्था बहाल करने में नाकाम है.
गांव में साफ-सफाई का घोर अभाव : गांव के सड़को के आस पास व घरो के सामने गंदगी का जमावड़ा है. दर्जनों जगहों पर गंदे पानी का जमाव जिसमें कीड़े मकौड़े पनपते देखा जा सकता है. गांव में साफ सफाई को लेकर ग्रामीण जागरूक नही है. इसके लिए विभाग ने भी आज तक किसी भी प्रकार की व्यवस्था करना जरूरी नही समझा.
डॉ0 मंजु दुबे , चिकित्सा प्रभारी – चांडिल अनुमंडलीय अस्पताल : सुचना मिलने के बाद क्षेत्र के एमपी डब्लू व एएनएम द्वारा काठजोड़ गांव में ग्रामीणों का स्वास्थ्य जांच किया गया. लेकिन स्थिति सामान्य है. दस दिन पूर्व सुमित्रा कालिन्दी की मौत टाईफाईड बुखार के कारण हुई थी. आवश्कता होने पर शिविर लगाया जा सकता है.
खानापुर्ति करते हुए निकल गये स्वास्थ्यकर्मी, एएनएम नदारद : ग्रामीणो ने बताया कि सोमवार को एमपी डब्लू सुनिल रजक एवं मंगल हेम्ब्रम गांव पहुंचे तथा सड़को पर घुमते हुए करीब एक घंटे बाद चले गये. चौक चौराहो व सड़को में रूक कर ग्रामीणो से बात करते हुए अपना ही फोटो लिए और वईरल फीवर होने की बात कहकर चले गये. ग्रामीणो ने बताया कि सोमवार को गांव के एएनएम को सुचना दिया गया लेकिन वो भी नही पहुॅची. एएनएम ने अस्पताल में बैठक में उपस्थित होने की बात बताई.
निजी स्तर से ईलाज में पैसा खत्म : बुखार पिड़ीतों के परिजनों से बातचीत के क्रम में बताया कि पुरे माह मेहनत मजदुरी कर जो भी कमाई हुई थी. सारा पैसा ईलाज में खर्च हो रही है , अब घर के लिए राशन भी जुटा नही पा रहे है. सरकारी सुविधा नही मिलने के कारण इस प्रकार से ग्रामीण निजी स्तर से पिड़ीतों का ईलाज करवा रहे है. जिसके कारण घर का सारा पैसा धीरे धीरे खत्म हो रही है.

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