जमशेदपुर।


आदिवासी समाज कला-संस्कृति का संपोषक है। नृत्य-संगीत इनके जीवन का अभिन्न अंग है। प्रायः सभी सामुदायिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नृत्य-संगीत प्रमुखता से मुखर होता है। सांस्कृति भवनों में नृत्य-कक्ष अवश्य हो जिससे कि आदिवासी लोक-कला को फलने-फुलने का और अवसर प्राप्त हो। ये बातें राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने दिसुआ, जाहेरगढ़, बहरागोड़ा में बाहा बंगा समिति द्वारा आयोजित बाहा पर्व के दौरान कहीं।
राज्यपाल ने कहा कि बहरागोड़ा विभिन्न भाषाओं के सम्मिलन की भूमि है। बांग्ला, उड़िया, हिन्दी, संथाली इत्यादि विभिन्न भाषा-भाषी यहाँ रहते है। इस अवसर पर उन्होंने जाहेर स्थान को घेरने के सम्बन्ध में कल्याण विभाग को निदेश दिये। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण करने की आदत बनाएं। पेड़-पौधे वातावरण को स्वच्छ करने का काम भी करते है और कई प्रकार की बीमारियों से बचाव भी करते है।
इस अवसर पर बहरागोड़ा, विधायक श्री कुणाल षाडंगी, उपायुक्त श्री अमित कुमार, वरीय आरक्षी अधीक्षक श्री अनूप टी0 मैथ्यूज तथा अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे।