बेबाक रविवार : कदमा शास्त्रीनगर उपद्रव मामला–एकपक्षीय कार्रवाई का आरोप निराधार –खुद घायल होकर शहर को जलने से बचाया—-एसएसपी

पढ़िए प्रशासन के कितने लोग इस कांड में हुए थे घायल, गिरफ्तारों की सूची पढ़कर हो जाएंगे हैरान----

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अन्नी अमृता

जमशेदपुर..

जमशेदपुर के कदमा थाना क्षेत्र के शास्त्रीनगर में 9 अप्रैल को हुए उपद्रव और सांप्रदायिक तनाव को लेकर शहर में हिंदुत्व के नाम की राजनीति खूब चल रही है. ऐसा माहौल बनाया जा रहा है मानो हिंदुत्व खतरे में है. हिंदुत्ववादी संगठनों ने जिला प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया है.हालांकि उनमें कई तरह की मतभिन्नताएं हैं. जैसे कल शाम सर्व जन हिन्दू समिति की ओर से निकाले गए मशाल जुलूस में भाजपा नेताओं की गिरफ्तारी का विरोध किया गया लेकिन रघुवर गुट के लोग नदारद रहे…उधर रामनवमी के समय से ही प्रशासन के साथ तनातनी को लेकर चर्चे में आए अभय सिंह को शास्त्रीनगर मामले में जेल भेजने के बाद विधायक सरयू राय उनके पक्ष में खुलकर आए और प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई के आरोप लगाए.कुल मिलाकर इस घटनाक्रम के बाद हिंदुत्व के मुददे को उभारकर भविष्य के चुनाव की रणनीति तैयार की जा रही है ये तो आम जनता भी समझती है. लेकिन आईए प्रशासन का पक्ष तकनीकी तौर पर देख लेते हैं कि वास्तव में क्या सिर्फ हिंदू पक्ष के लोगों पर ही कार्रवाई हुई है?

बकौल जमशेदपुर(पूर्वी सिंहभूम) एसएसपी प्रभात कुमार, कुल 69 गिरफ्तारियां हुईं जिसमें 45 मुस्लिम पक्ष के लोग और 24 हिंदू पक्ष के लोग शामिल हैं.वहीं इस घटना में उपद्रव को नियंत्रित करने में स्वयं एसएसपी चोटिल हुए. उन पर भीड़ ने सड़क और घर के ऊपर से पथराव किया.एसडीओ पीयूष, डीएसपी कमल किशोर समेत कई प्रशासनिक अफसर घायल हुए.100 से भी ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए लेकिन उनलोगों ने अपनी परवाह नहीं की और उपद्रवियों को खदेड़कर हालात को नियंत्रित कर शहर के बाकी हिस्सों में दंगा फैलने से बचाया.एसएसपी ने बताया कि प्राथमिकी को पढ़कर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि प्रशासन ने कोई भेदभाव नहीं किया.जिस पक्ष की तरफ से वहां जो हुआ वह एफआईआर में साफ साफ लिखा है. प्राथमिकी में बताया गया है कि घटनास्थल पर 200 हिंदू पक्ष के लोग और 1000 मुस्लिम पक्ष के लोग थे जिनका आपस में संघर्ष हुआ जिसके बाद ईंट पत्थर चले.प्राथमिकी में 100 से भी ज्यादा लोगों पर नामजद प्राथमिकी दर्ज हुई जिनमें ज्यादातर मुस्लिम पक्ष के लोग हैं, लेकिन मुस्लिम पक्ष की तरफ से किसी नेता या संगठन ने हाय तौबा नहीं मचाई. प्राथमिकी में साफ साफ मुस्लिम पक्ष की तरफ से प्रशासन पर हुई पत्थरबाज़ी का जिक्र किया गया है.

वहीं इस मामले में अभय सिंह समेत अन्य भाजपा नेताओं की गिरफ्तारी पर उठ रहे सवालों पर एसएसपी ने कहा कि इस मामले में कोई भी कार्रवाई पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर नहीं की गई है.उपद्रव की सूचना मिलते ही प्रशासन सक्रिय हो गया था. उपायुक्त, एसएसपी समेत तमाम अधिकारी और पुलिस बल वहां पहुंचकर हालात नियंत्रित करने में लग गए थे.

आईए उन नामों को देख लेते हैं जिन्हें घटनास्थल पर प्रशासन ने उस समय खदेड़कर पकड़ा जब वे काफी उग्र होकर बार बार ईंट पत्थर चला रहे थे—अरशद गदी, इस्माईल अंसारी, आतिफ खान,शेख साहिल, अफजल हुसैन और मो. सलाउद्दीन.

प्राथमिकी में लिखा है कि कुछ ऐसे सामाजिक और राजनैतिक कार्यकर्ता हैं जिन्होंने आपराधिक षडयंत्र एवं दुष्रेरण कर सामाजिक विद्वेष फैलाने एवं अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने के लिए इस उपद्रव को अंजाम दिलाया.प्राथमिकी को पढ़ने से पता चलता है कि 9 अप्रैल की शाम 6.30 बजे घटनास्थल शास्त्रीनगर में स्थित जटाधारी शिव हनुमान मंदिर में 200 की संख्या में हिंदू समुदाय के लोग उपस्थित थे.यहां सवाल है कि जब एक दिन पहले वहां प्रतिबिंधित मांस के महावीरी झंडा के पास टांगने की अफवाह को लेकर तनाव फैला था और एहतियान वहां प्रशासन के कुछ अधिकारियों की विधि व्यवस्था को लेकर नियुक्ति थी तो ऐसे वातावरण में किसके उकसावे पर वहां 200 की संख्या में हिंदू समुदाय के लोग जुटे थे? देखिए प्राथमिकी—

शास्त्रीनगर का पूरा मामला गहन जांच का विषय है. इस मामले में पुलिस कोर्ट में कितनी मजबूती से अपना पक्ष आगे रखती है ये तो वक्त बताएगा लेकिन प्राथमिकी पढ़ने पर ये जरूर महसूस होगा कि इस मुद्दे को लेकर जैसा हवा बनाई गई कि सिर्फ हिंदू समुदाय को टारगेट कर एकतरफा कार्रवाई की गई वैसा नजर नहीं आता उल्टे कई सवाल उठ रहे हैं. हां ये जरूर है कि अभय सिंह या अन्य भाजपा नेताओं के जो नाम हैं वे कितना सही हैं एक सवाल है क्योंकि रामनवमी के समय प्रशासन के साथ जो तनातनी हुई तो उसी समय से अभय सिंह निशाने पर थे.

अंत में , राजनीति चलती रहेगी लेकिन लौहनगरी के समझदार लोग अपना आपा नहीं खोएंगे..शास्त्रीनगर में उस दिन घंटों उपद्रवियों ने तांडव किया..प्रशासन ने बहुत सूझ बूझ के साथ बगैर लोगों को घायल किए खुद चोटिल होकर, आंसू गैस छोड़कर और अत्यधिक उग्र भीड़ को नियंत्रित कर ‘बेस्ट पॉस्पीबल’ कार्रवाई की और इस दौरान बाकी शहर को सांप्रदायिकता की आग में जलने से बचाया . इस दौरान और उसके बाद शहरवासियों ने भी प्रशासन का पूरा साथ दिया. क्या किसी आम आदमी ने कार्रवाई पर कोई सवाल उठाया? नहीं न? लौहनगरी के लोग अमनपसंद हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से घटिया राजनीति के माध्यम से जहर घोलने का प्रयास किया जा रहा है जिसे जनता ही असफल बना सकती है.

 

 

 

 

 

 

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