महेंद्र प्रसाद,
सहरसा।
धमारा घाट हादसा 3 वर्ष हो गया है इन 3 सालों मे मात्र एक फुटओवर ब्रिज बना है दोनों पप्लेटफार्म आज भी अधूरा है श्रद्धालु आज भी रेलवे ट्रैक से ही मां कात्यानी मंदिर जाने को विवशहै।
धमारा घाट स्टेशन पर न तो शौचालय एवं न ही रोशनी ।
शाम ढलते ही स्टेशन अंधेरा में तब्दील हो जाता है। ना तो स्टेशन से मां कात्यानी मंदिर जाने का रास्ता बना है एवं ना ही है स्टेशन पर कोई सुविधा शुरू हुआ है सुविधा के नाम पर एक फुटओवर ब्रिज एक माइक लगा दिया है। सोमवार एवं शुक्रवार को बैरागन के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां कात्यानी मंदिर पूजा करने जाते है।
तीसरी बरसी पर लोगों ने दी श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि-
धमारा घाट स्टेशन पर 18 अगस्त 2013 राजरानी हादसे में मारे गए श्रद्धालुओं को शुक्रवार को कहीं लोगों ने श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया रेलवे द्वारा अभी तक कोई सुविधा नहीं दिए जाने पर आक्रोश व्यक्त किया। लोक गायक सुनील छैला बिहारी शाहिद खगरिया सहरसा खेलों की श्रद्धांजलि सभा में सम्मिलित हुए।
कब हुई थी घटना-
18 अगस्त 2013 को सहरसा से पटना जा रही राज्य रानी सहरसा-समस्तीपुर रेलखंड के बीच धमारा घाट स्टेशन पर सोमवार सुबह 8.30 बजे राज्यरानी सुपरफास्ट ट्रेन की चपेट में आकर 37 यात्रियों की मौत हो थी।जबकि कई दर्जन घायल हो गया था। हताहतों में कांवड़िये भी शामिल था। गुस्साई भीड़ ने दो ट्रेनों में आग लगा दी, घटना के बाद से ड्राइवर व गार्ड लापता हो गया जो बाद में बरामद हुआ। हादसे में मारे गए यात्रियों में ज्यादातर संख्या महिलाओं की है। इनमें आठ बच्चे भी शामिल हैं। सभी मृतकों की पहचान कर ली गई है, ज्यादातर लोग सहरसा, खगड़िया व समस्तीपुर जिले के थे। हादसे के बाद से इस रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन ठप हो गया था।
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