भाजपा के लिए दिख रही दिल्ली दूर
विजय सिंह ,बी.जे.एन.एन.ब्यूरो,नई दिल्ली,७ फरवरी ,२०१५
तमाम जोर आजमाईश,धुंआधार प्रचार और प्रोफेशनल चुनाव प्रबंधन के बावजूद दिल्ली में ७० सीटों के लिए आज संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में ,भारतीय जनता पार्टी को अपेक्षाकृत कम सफलता मिलती नजर आ रही है और चुनाव बाद किये गए सर्वे में भाजपा दिल्ली में फिलहाल पुनः विपक्ष में ही बैठती नजर आ रही है. १३ महीनों के भीतर ही दुबारा आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल को दिल्ली की कुर्सी प्राप्त होता देख आम आदमी पार्टी और खुद केजरीवाल उत्साहित नजर आ रहे हैं. सुबह मतदान शुरू होने के बाद दिन के एक बजे तक जहाँ सिर्फ २४ प्रतिशत मतदान हो पाया था वहीँ शाम ढलते मतदान संपन्न होते होते मतों का प्रतिशत ६८ तक जा पहुंचा,जाहिर है दोपहर बाद मतदाता घरों से निकले और दिल्ली में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत देने के इरादे से जमकर मतदान किया.
पिछली बार की तरह दिल्ली के चुनाव में बिजली ,पानी, महिला सुरक्षा और अवैध बस्तियों के स्थायीकरण का मुद्दा शुरुआती दौर में छाए रहे परन्तु किरण बेदी के भाजपा में शामिल और मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी घोषित होते ही पूरा चुनाव केजरीवाल और किरण बेदी के इर्द गिर्द सिमटते नजर आने लगा.जहाँ केजरीवाल भाजपा पर आरोप और कटाक्ष करने में कभी पीछे नहीं हटे, वहीँ भाजपा ने केजरीवाल को शिकस्त देने में पूरी ताकत झोंक दी.शायद यही वजह हो सकती है कि जहाँ भाजपा ने प्रचार,चुनाव प्रबंधन और रणनीति के तहत चुनाव सञ्चालन किया वहीँ अत्यधिक विरोध के कारण केजरीवाल मुफ्त की पब्लिसिटी पाने में सफल रहे. यही नकारात्मक प्रचार केजरीवाल के पक्ष में जाता दिख रहा है और निचले तबके के मतदाताओं के साथ मध्यमवर्गीय मतों के एक हिस्से में भी केजरीवाल अपनी छबि “भगोड़ा” की जगह “बेचारा” में परिवर्तित करने में सफल रहे. दूसरा बड़ा फायदा कांग्रेस के सुस्त रणनीति से भी केजरीवाल को मिलता दिख रहा है.”अल्पसंख्यक” कहे जाने वाले मत अन्य विकल्प न होने की वजह से केजरीवाल के पक्ष में जाते मालूम पड़े.
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली की सीट को प्रतिष्ठा का विषय मानते हुए जमकर मेहनत की लेकिन चुनाव पूर्व पार्टी में नयी सदस्य के रूप में आई भारतीय पुलिस सेवा की पूर्व अधिकारी किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना कर पार्टी के भीतर भी अदृश्य विरोध को और पुख्ता कर दिया.
ऊपर से न जाने किस चुनाव प्रबंधन के मुताबिक केजरीवाल के खिलाफ अभेद चक्रव्यूह रचने के चक्कर में अति विरोध केजरीवाल का उल्टा फायदा ही करवाता नजर आया.
७० सीटों के लिए ६७३ प्रत्याशियों का भाग्य फ़िलहाल ई.वी.एम. में बंद हो चूका है और अनुमानतः १० फरवरी को जब वोटिंग मशीन मतों की गिनती के लिए खुलेगा तो शायद केजरीवाल के लिए एक बार फिर से दिल्ली के तख़्त के ताज का सन्देश लेकर आएगा और संभवतः भाजपा को दिल्ली दूर से ही दर्शन करना पड़ेगा.आईये, १० फरवरी के इंतजार तक हम और आप कुछ और अनुमान लगा लेते हैं