
जमशेदपुर,
धरती आबा बिरसा मुंडा जी की पुण्यतिथि के अवसर पर जमशेदपुर उपायुक्त कार्यालय के बाहर समस्त ग्राम सभा एवं बिरसा सेवा दल के नेतृत्व में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में आदिवासी ग्रामीण शामिल हुए और “हमर गांव में हमर राज” का नारा बुलंद किया।
इस विरोध-प्रदर्शन का उद्देश्य राज्य में आदिवासी समुदाय के अधिकारों, विशेषकर जल, जंगल और जमीन की रक्षा की मांग को प्रमुखता से उठाना था। धरना का नेतृत्व बिरसा सेवा दल के अध्यक्ष दिनकर कच्छप ने किया, जिन्होंने सरकार पर आदिवासी हितों की अनदेखी का आरोप लगाया।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए दिनकर कच्छप ने कहा, “राज्य में अबुवा सरकार (अपनी सरकार) होने के बावजूद झारखंड में आदिवासियों की जमीनें तेजी से छीनी जा रही हैं। हमारे धार्मिक स्थल तक सुरक्षित नहीं हैं और शासन व्यवस्था से हमें लगातार हाशिए पर धकेला जा रहा है।”
उन्होंने झारखंड की शराब नीति पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि इससे आदिवासी समाज का भविष्य अंधकार में जा रहा है। दिनकर ने चेतावनी दी कि अगर जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों के अधिकार बहाल नहीं किए गए, तो वे आने वाले समय में उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
क्या हैं मांगें?
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें थीं:
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आदिवासियों की जमीनों की बेनामी खरीद-बिक्री पर रोक
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धार्मिक स्थलों की संरक्षा और कानूनी मान्यता
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जल-जंगल-जमीन पर परंपरागत अधिकारों की बहाली
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शराब नीति की समीक्षा और आदिवासी क्षेत्रों में प्रतिबंध
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ग्राम सभा की भूमिका को सशक्त करना
धरना स्थल पर कई आदिवासी महिला समूह, युवा कार्यकर्ता, और ग्राम प्रधान भी मौजूद थे, जिन्होंने अपनी-अपनी समस्याएं और सरकार से शिकायतें खुलकर साझा कीं।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार आदिवासी मुद्दों को अनदेखा कर रही है और उनकी आवाज को दबाने की कोशिश हो रही है।
सभा के अंत में यह संकल्प लिया गया कि यदि उनकी मांगों पर जल्द कार्य नहीं हुआ, तो राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा और बिरसा मुंडा के सपनों का आदिवासी शासन स्थापित करने के लिए संघर्ष तेज किया जाएगा।