Jamshedpur : तीन मौकों पर लोग लेते हैं भगवान का नाम, संकट, सत्संग व शमशान- महंत केशवाचार्य जी महाराज

भव्य कलश यात्रा के साथ कैरेज कालोनी में सप्ताहव्यापी भागवत कथा का शुभारंभ

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जमशेदपुर।

 बर्मामाइंस कैरेज कालोनी में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का रविवार से शुभारंभ हुआ. कथा प्रारंभ से पहले सुबह गाजे-बाजे के साथ भव्य कलश यात्रा निकाली गई. जो कैरेज कालोनी से प्रारंभ होकर सोनारी दोमुहानी संगम तट पहुंची. वहां से कलश में जल लेकर महिलाएं पुनः कथा स्थल पहुंची. जहां पंचांग पूजन समेत अन्य धार्मिक अनुष्ठान के बाद कथा प्रारंभ हुई. कथा वाचक जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी एवं जगद्गुरू नारायणाचार्य जी महाराज के शिष्य बिहार के रोहतास जिले के घरवासडीह मठ के महंत केशवाचार्य जी महाराज ने पहले दिन श्री भागवत जी के महत्व से श्रद्धालुओं को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि मनुष्य़ तीन अवसरों पर भगवान को याद करता है. पहला संकट के समय, दूसरा सत्संग के माध्यम से तथा तीसरा मृत्यू शय्या पर पड़े अवस्था में शमशान जाने से पहले. तीनों अवस्था में भक्त के कर्म के अनुसार ईश्वर उसकी पुकार सुनते हैं.

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कलश यात्रा में ये लोग थे शामिल

आयोजक महेंद्र कुमार पांडेय ने बताया कि रविवार को सुबह भव्य कलश यात्रा निकाली गई. जो कैरैज कालोनी कथास्थल से प्रारंभ होकर सोनारी दोमुहानी तक गई. कलश यात्रा में काफी संख्या में महिलाएं शामिल थी. उन्होंने बताया कि 18 मार्च तक प्रतिदिन संध्या चार बजे से छह बजे तक भागवत कथा होगी. 19 मार्च को हवन एवं पुर्णाहूति के बाद महाप्रसाद का आयोजन किया गया है. कलश य़ात्रा में प्रभू नारायण पांडेय, जगनारायण पांडेय, मुन्ना पांडेय, कमलेश दुबे, बुधेश्वर ओझा, विजय चौधरी, उमाकांत मिश्रा, महेश प्रसाद, उमाकांत पांडेय, श्रीनिवास तिवारी, विजय पांडेय, दिलीप ओझा, संजय तिवारी, रामाश्रय सिंह, तेजबहादूर सिंह, कामता प्रसाद, मुन्ना, चुन्ना समेत काफी संख्या में लोग मौजूद थे.

300 वर्ष पुराना है घरवासडीह मठ

बिहार के रोहतास जिला अंतर्गत काराकाट प्रखंड क्षेत्र के घरवासडीह मठ के श्रीठाकुर जी का एक अपना अलग अनूठा इतिहास रहा है. यह मठ एक गौरवशाली मठ के रूप में आज भी विद्यमान है. यह मठ लगभग 300 वर्ष पुराना है. यह मठ बिहार ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष का एक अनूठा गौरवशाली मठ है. यहां पर देश के कोने-कोने से जो भी श्रद्धालु सच्चे भक्तिभाव एवं श्रद्धा के साथ श्रीठाकुर जी के दर्शन करने के लिए आते हैं. श्रीठाकुर जी उन सभी श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी करते हैं. इस मठ में जो भी श्रद्धालु निराश मन से आते है, यहां से सभी श्रद्धालु श्रीठाकुर जी के आशीर्वचन से हंसते हुए जाते है. यहां पर जो भी श्रद्धालु अनाथ होकर आये है यहां से सनाथ होकर ही लौटे है.यह मठ सनातन परंपरा को आगे बढ़ाने से लिए भी सतत प्रयास करता है. यहां पर अनाथ व अन्य इच्छुक छात्रों को नि:शुल्क कर्मकांड की शिक्षा दी जाती है. इस मठ से शिक्षा ग्रहण कर सैकड़ों विद्यार्थी बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर पदस्थापित हैं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी सहित अन्य महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में इस मठ के अनेकों छात्र उच्च पद पर पदस्थापित है.

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गौशाला व पुष्प वाटिका मौजूद है

इस मठ में फल-फूल के लिए विशेष पुष्पवाटिका, एक पुष्करिणी, विद्यमान है. साथ ही साथ इस मठ में गौशाला भी है जिसमें गौ माता की सेवा भक्तजनों के द्वारा निरंतर की जाती है. इस मठ में प्रतिवर्ष कार्तिक व चैत्र के छठ महापर्व के दिन हजारों की संख्या में व्रती की भीड़ उमड़ती है. साथ ही साथ चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक महायज्ञ का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है. जिसमें आसपास के लोग शामिल होकर महायज्ञ की शोभा को बढ़ाते हैं. मठ का विशाल परिसर अध्यात्म की अलग ही अनुभूति कराता है. जो यहां एक बार आ जाता है, उसका मन बार-बार आने को करता है.

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