Jamshedpur News:मानगो का वन विभाग का नेचर पार्क बन गया जंगल
मानगो का वन विभाग का नेचर पार्क बन गया जंगल, गंदगी से भरे माहौल और जंगल-झाड़ के बीच टहलने को मजबूर लोग,लोगों का सवाल-क्या मानगो जमशेदपुर नहीं है? ये सौतेला व्यवहार क्यों?
ANNI AMRITA
अन्नी अमृता
जमशेदपुर.
जमशेदपुर के मानगो के आजादनगर में बड़े जोर-शोर से कुछ साल पहले नेचर पार्क,पारडीह का उद्घाटन हुआ था जिससे मानगोवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई थी. उनको लगा कि अब जमशेदपुर के टाटा कमांड एरिया के जुबिली पार्क और अन्य पार्कों की तरह यहां भी एक पार्क होगा जहां बच्चे और बड़े कुछ क्वालिटी समय बिताएंगे..लेकिन धीरे धीरे इस पार्क की सूरत बदलने लगी.न पार्क में साफ सफाई होती है और न ही अन्य तरह के कोई मेंटनेंस के ही कार्य होते हैं.
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शाम होते नशेड़ियों-असामाजिक तत्वों का लग जाता है जमावड़ा
स्थानीय लोग बताते हैं कि शाम होते यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है. पार्क के परिसर में एक पुराना भवन है जिसको तोड़ा नहीं गया और नतीजतन वह जर्जर होकर खतरनाक हालत में पहुंच चुका है.कहने की बात नहीं यह एक तो खतरनाक और जानलेवा है दूसरे इस खाली जर्जर भवन के गलत इस्तेमाल की भी संभावना है.लोगों ने बताया कि पार्क में अनगिनत जंगल झाड़ उग आए हैं जिनकी कभी कांट छांट हुई ही नहीं.पार्क में चारों तरफ गंदगी पसरी है, निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं होने से पार्क के पीछे रिहायशी इलाके के कुछ गैर जिम्मेदार लोग पार्क की बाउंड्री से नीचे कचरा डाल देते हैं.
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पार्क में शौचालय की नहीं है व्यवस्था
बिहार झारखंड न्यूज नेटवर्क से बात करते हुए जुनैद शकील,इमरान अंसारी और पार्क में मौजूद अन्य लोगों ने बताया कि पार्क में शौचालय की व्यवस्था न होने से महिलाओं को काफी परेशानी होती है.पार्क में शाम को असामाजिक तत्वों का अड्डा जमने लगता है जिससे महिलाएं असहज महसूस करती हैं.जंगल-झाड़ की भरमार और कभी भी छिड़काव न होने से यहां मच्छरों का प्रकोप है जिससे बीमार होने का खतरा मंडराता रहता है. लोगों ने मांग की कि वन विभाग और प्रशासन को यहां बच्चों के लिए झूले वगैरह लगवाना चाहिए.
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पिछले साल से बंद है नेचर पार्क
पिछले साल प्रशासन ने पार्क को बंद कर दिया था जिसका विरोध हुआ था.लोगों का कहना है कि पार्क की व्यवस्था को दुरुस्त करने की जगह पार्क को ही बंद करना यह दर्शाता है कि प्रशासन मानगो की जनता के प्रति संवेदनशील नहीं है.जब भी लोग सफाई का सवाल उठाते हैं तो मानगो नगर निगम की तरफ से इसे वन विभाग का मामला कहकर टाल दिया जाता है.वहीं वन विभाग से आम लोग संपर्क नहीं कर पाते.बिहार झारखंड न्यूज नेटवर्क की तरफ से भी डीएफओ के आधिकारिक नंबर पर संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने काॅल रिसीव नहीं किया और कोई काॅल बैक काफी देर तक नहीं आया.यहां सवाल यह उठता है कि लाखों-करोड़ों खर्च कर परियोजनाओं को धरातल पर उतारकर उसे बर्बाद होने के लिए क्यों छोड़ दिया जाता है.क्या यह जनता के पैसे की बर्बादी नहीं और इस बर्बादी को नजरअंदाज करना क्या वन विभाग, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही नहीं?
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