Jamshedpur News:भागवत कथा जीवन के उद्देश्य एवं दिशा को दर्शाती है – मनीष शंकर

साकची अग्रसेन भवन में भागवत कथा का दूसरा दिन

81

जमशेदपुर। साकची श्री अग्रसेन भवन में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन मंगलवार को व्यासपीठ से कथावाचक पंडित मनीष शंकर जी महाराज ने परीक्षित जन्म एवं श्राप, श्री शुकदव जी का आगमन, विदुर मैत्रेय संवाद, कपिल देवहुति संवाद, धु्रव चरित्र की प्रसंग का विस्तार से व्याख्यान किया। महाराज श्री ने कहा कि शुकदेव इस संसार में भागवत का ज्ञान देने के लिए ही प्रकट हुए है। शुकदेव का जन्म विचित्र तरीके से हुआ। कहते हैं बारह वर्ष तक मां के गर्भ में शुकदेव जी रहे। वहीं श्रीमद् भागवत कथा के प्रभाव से राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त हुआ था।

दक्षयज्ञ प्रसंग सुनाते हुए महाराज जी ने कहा कि यज्ञ का उद्देश्य पवित्र होना चाहिए। दक्ष कर्मयोगी था, कर्मठ था, किंतु कर्म का उद्देश्य उसने अपवित्र रखा, शिव के अपमान का लक्ष्य रखा, जिसका परिणाम यह निकला कि उसका यज्ञ भंग हो गया और स्वयं का शिरोच्छेदन हुआ। कर्म का उद्देश्य यदि पवित्र हैं तो वह कर्म यज्ञ कहलाता हैं। कथावाचक नेे आगे कहा कि भक्ति में दृढ़ता का भाव होने पर ही भागवत साक्षात्कार संभव हैं। सदा साधक को याद रखना चाहिए कि बिना निश्चय के नारायण नहीं मिलते। धु्रव जी ने एक निश्चय किया था कि मुझे भागवान का साक्षात्कार करना हैं। वह निश्चय ही उन्हें लक्ष्य प्राप्ति में सफल बनाता हैं। जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को दुर्लभ मानता हैं, वह कभी भी लक्ष्य को नहीं पा सकता। दूसरे दिन मंगलवार को अग्रवाल (नोपाका) परिवार गांवाड़ी निवासी द्धारा आयोजित कथा में प्रमुख रूप से शंकर लाल अग्रवाल, शंभू खन्ना, शिवशंकर अग्रवाल, विनोद खन्ना, आनन्द अग्रवाल, विश्वनाथ अग्रवाल, कैलाशनाथ अग्रवाल, अमरचंद अग्रवाल श्रवण कुमार अग्रवाल, दमोदर प्रसाद अग्रवाल समेत काफी संख्या में भक्तगण शामिल होकर कथा का आनन्द लिया।।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More