
~ कंपनी ने हाइड्रोजन-अनुकूल API X65 ग्रेड स्टील पाइप सफलतापूर्वक विकसित किए, भारत के नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन में किया अहम योगदान ~
मुंबई: टाटा स्टील ने हाइड्रोजन परिवहन के लिए पाइप विकसित करने की पूरी प्रक्रिया में अपनी अग्रणी क्षमता का परिचय दिया, और इस उपलब्धि के साथ भारत की पहली स्टील कंपनी बन गई। यह कदम नेशनल हाइड्रोजन मिशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
टाटा स्टील के खोपोली प्लांट में निर्मित API X65 ERW पाइप्स, जो कंपनी के कालिंगानगर प्लांट में उत्पादित उच्च-गुणवत्ता वाले स्टील से तैयार किए गए, ने हाइड्रोजन परिवहन के लिए सभी आवश्यक विशेषताएँ सफलतापूर्वक प्राप्त कीं। इन पाइप्स के हाइड्रोजन क्वालिफिकेशन परीक्षण RINA-CSM S.p.A, इटली में किए गए, जो हाइड्रोजन से संबंधित परीक्षण और मान्यता के लिए एक प्रमुख वैश्विक एजेंसी है। यह नई हाइड्रोजन-अनुकूल API X65 ग्रेड पाइप्स 100% शुद्ध गैसीय हाइड्रोजन को उच्च दबाव (100 बार) पर सुरक्षित और प्रभावी ढंग से परिवहन करने के लिए तैयार हैं।
प्रभात कुमार, वाइस प्रेसिडेंट – मार्केटिंग एंड सेल्स (फ्लैट प्रोडक्ट), टाटा स्टील ने कहा: “टाटा स्टील हमेशा से ही महत्वपूर्ण स्टील ग्रेड के निर्माण में तकनीकी नवाचार की दिशा में अग्रणी रही है। नई ERW पाइप्स का सफल परीक्षण यह दर्शाता है कि हम ऊर्जा क्षेत्र के लिए आवश्यक भौतिक अवसंरचना को देश में ही प्रभावी रूप से तैयार कर सकते हैं। हम गर्व के साथ भारत के नेशनल हाइड्रोजन मिशन में योगदान दे रहे हैं, जो देश के स्वच्छ ऊर्जा रूपांतरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। टाटा स्टील भारत की पहली स्टील कंपनी है, जिसने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया, बल्कि इसे सफलतापूर्वक पूरा कर घरेलू और वैश्विक स्तर पर इन विशेष ग्रेड स्टील पाइप्स की बढ़ती मांग को पूरा किया।”
टाटा स्टील की रिसर्च एंड डेवलेपमेंट टीम हाइड्रोजन परिवहन और भंडारण के लिए नवोन्मेषी और सतत समाधान विकसित करने में निरंतर समर्पित रही है। इस पहल में, हॉट रोल्ड स्टील के डिज़ाइन और विकास से लेकर पाइप निर्माण तक की पूरी तकनीकी प्रक्रिया पूरी तरह से इन-हाउस की गई। 2024 में, टाटा स्टील ने भारत की पहली स्टील कंपनी के रूप में गौरव प्राप्त किया, जिसने गैसीय हाइड्रोजन के परिवहन के लिए विशेष हॉट रोल्ड स्टील का उत्पादन किया।
नेशनल हाइड्रोजन मिशन भारत को 2030 तक प्रति वर्ष कम से कम 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने की क्षमता विकसित करने में सक्षम बनाएगा, और बढ़ती निर्यात मांग के साथ यह संख्या 10 MMT प्रति वर्ष तक पहुंच सकती है, जिसके लिए उत्पादन और परिवहन में महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होगी। हाइड्रोजन परिवहन के लिए स्टील की मांग 2026 -27 से शुरू होने का अनुमान है, और अगले 5 से 7 वर्षों में कुल स्टील की आवश्यकता 350KT तक पहुंचने की संभावना है। जबकि हाइड्रोजन परिवहन के विभिन्न तरीके उपलब्ध हैं, स्टील पाइपलाइंस को बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन परिवहन के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे अधिक उपयुक्त माना जाता है।