
जमशेदपुर।
साकची गुरुद्वारा में प्रधान पद को लेकर पिछले कई दिनों से चल रहे विवाद का पटाक्षेप धालभूम अनुमंडलाधिकारी शताब्दी मजूमदार ने कर दिया है। उन्होंने जोगिंदर सिंह जोगी द्वारा की गई शिकायत पर सुनवाई करते हुए केस क्लोज कर दिया है। इसके साथ ही स्पष्ट हो गया कि अब चुनाव प्रक्रिया साकची कमेटी के अपने संविधान के प्रावधान के अनुसार ही संपन्न होगी।
इधर गुरुवार को कोर्ट के आदेश की प्रति मिलने पर कार्यकारी प्रधान सरदार निशान सिंह ने इसे संविधानिक सत्य की जीत एवं झूठ और फरेब की शिकस्त बताया है। निशान सिंह कहा है चुनावी प्रक्रिया जिसे विरोधियों द्वारा बलपूर्वक रोका गया था उसे पुनः वहीं से शुरू की जाएगी। उन्होंने इसे साकची के संगत के धैर्य एवं अरदास का परिणाम बताया है।
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निशान सिंह ने इसके साथ ही सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान भगवान सिंह एवं उनकी कार्यकारिणी के चापलूस और अंधभक्त समर्थकों को इससे सबक लेने की सलाह दी है। निशान सिंह के अनुसार सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान के हस्तक्षेप ने जमशेदपुर के सिख इतिहास में काला अध्याय जोड़ दिया है। जिस तरह से धर्म प्रचार कमेटी अकाली दल के पांच प्यारों एवं रहिरास जी पाठ की मर्यादा तार तार की गई, इसे कोई भी सच्चा सिख स्वीकार नहीं करेगा।
स्क्रुटनी ही हो रही थी कोई परिणाम तो घोषित नहीं हो रहा था। लेकिन भगवान सिंह तो इस तरह से संगत के बीच दर्शा रहे थे मानो उनकी इच्छा से ही संसार चलेगा। वाहेगुरु श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी महाराज ने उनको सबक दिया है कि वह आइंदा किसी लोकल गुरुद्वारा के मामले में अपनी टांग नहीं घुसाए।
इधर निशान सिंह के अनुसार उन्होंने एसडीओ के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट फाइल की है और उसमें सीधे तौर पर अनुमंडल प्रशासन सीजीपीसी को पार्टी बनाया गया। निशान सिंह के अनुसार एसडीओ के आदेश में धार्मिक और स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन तथा संविधान के प्रावधान पर हमला है।
इस रिट की प्रति एसडीओ को उपलब्ध कराई गई और उसके बाद एसडीओ ने पुनः हरविंदर सिंह मंटू और सरदार जोगिंदर सिंह जोगी को तथा निशान सिंह और सतिंदर सिंह रोमी को बुलाया।
कार्यकारी प्रधान निशान सिंह, चुनाव संयोजक सतिंदर सिंह रोमी की दलील रही कि जिस तरह से उस समय के प्रधान सरदार हरविंदर सिंह मंटू ने साकची के संविधान के प्रावधान के अनुसार 2022 में चुनाव करवाया था, वह इसी प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। उस चुनाव में भी सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कोई भूमिका नहीं थी। 2022 की प्रक्रिया से थोड़ा भी भटके नहीं है, अनुमंडल प्रशासन के समक्ष सरदार जोगिंदर सिंह जोगी एवं हरविंदर सिंह मंटू ने भ्रामक पक्ष रख गुमराह करने की कोशिश की। जिसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
एसडीओ द्वारा पिछली प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर हरविंदर सिंह मंटू और जोगिंदर सिंह जोगी निरुत्तर हो गए। वही सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से प्रधान सरदार भगवान सिंह एवं महासचिव अमरजीत सिंह बैठक में शामिल होने पहुंच गए तो एसडीओ ने झाड़ पिलाते हुए कहा कि आप लोगों को किसने बुलाया है, इतना सुनते ही दोनों कक्ष से बाहर चले गए।
सभी पक्षों के सुनने के बाद एसडीओ ने साफ कहा कि सुनवाई बंद कर केस क्लोज किया जाता है और साकची कमेटी अपने संविधान के अनुसार अपना काम करेगी