JAMSHEDPUR NEWS:न्यूरो सर्जन बनकर लोगों की सेवा करना चाहती है नीट की इंडिया टाॅपर जमशेदपुर के आजादनगर की कहकशां परवीन
Anni Amrita
जमशेदपुर.
मौका मिलने पर बेटियां कितना कमाल कर सकती हैं, जमशेदपुर के आजादनगर की कहकशां परवीन उसका ज्वलंत उदाहरण बन गई हैं. उन्होंने ‘नीट’ प्रतियोगी परीक्षा में अन्य छात्रों के साथ संयुक्त रुप से पहला स्थान प्राप्त कर इंडिया टाॅपर बनने का गौरव हासिल किया है.उन्होंने डीएवी, बिष्टुपुर से प्लस टू करने के बाद एक साल कोटा में रहकर नीट की जी जान से तैयारी की और आज नतीजा सबके सामने है.
परिणाम आने के बाद से ही उन्हें बधाई देनेवालों का तांता लगा हुआ है.ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी के प्रतिनिधि सह आजादनगर थाना पीस कमेटी के सचिव मुख्तार आलम खान और अन्य सदस्यों ने कहकशां और उनके परिवार को आज सम्मानित किया.उन्होंने कहा कि 720में 720नंबर लाकर बिटिया ने शहर और झारखंड राज्य का परचम लहरा दिया है.
वहीं वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता और अंतरा बोस भी कहकशां के घर पहुंची और शुभकामनाएं दीं.अन्नी अमृता ने कहकशां को उपहारस्वरुप अपनी किताब भेंट की.
बिहार झारखंड न्यूज नेटवर्क से बातचीत करते हुए कहकशां ने बताया अपनी मां की तकलीफ और आस पास के लोगों के स्वास्थ्य संबंधी तकलीफों को देखते हुए काफी साल पहले ही उन्होंने तय कर लिया था कि डाॅक्टर ही बनना है.उन्होंने बताया कि इस सपने को लेकर उनके माता पिता, बहन और भाईयों(जफर और अजहर) ने खूब सहयोग किया.उनके भाई अजहर रिम्स रांची में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं.परिजन हमेशा कहकशां की हौसला अफजाई करते रहे.
कहकशां ने एक साल कोटा में रहकर नीट की तैयारी की थी.बचपन से ही डाॅक्टर बनने का सपना देखनेवाली कहकशां ने डीएवी बिष्टुपुर से प्लस टू किया है.स्कूली शिक्षा गोविंद विद्यालय तमोलिया से हुई है.
कहकशां के माता- पिता ने बताया कि बचपन से ही वह मेधावी छात्रा रही है.उन्हें पूरी उम्मीद थी कि वह न सिर्फ नीट क्वालिफाई करेगी बल्कि टाॅप करेगी.
न्यूरोसर्जन बनना चाहती हैं कहकशां
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कहकशां आगे चलकर न्यूरो सर्जन बनने की ख्वाहिश रखती हैं.बिहार झारखंड न्यूज नेटवर्क से बातचीत में उन्होंने बताया कि आस पास और अन्य जगहों में ऐसे कई लोगों को उन्होंने देखा जो न्यूरो से संबंधित समस्याओं से ग्रस्त हैं, तो उनके मन में ख्याल आया कि न्यूरो सर्जन बनकर ऐसे लोगों की सेवा करुं.
बेटियों की पढ़ाई न रोकें
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कहकशां ने आगे कहा कि बेटियों की पढ़ाई नहीं रुकनी चाहिए.एक बेटी को पढ़ाने से पूरे जेनेरेशन में बदलाव आता है और परिवार का विकास होता है.पढ़ने से बहुत कुछ सीखने को मिलता है.
कोटा का अनुभव अच्छा रहा
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कहकशां ने एक साल कोटा में रहकर नीट की तैयारी की और परिणाम सुखद रहा.उन्होंने कहा कि भले कोटा को लेकर आजकल नकारात्मक खबरें सामने आ रही हैं, लेकिन अगर लक्ष्य पर केंद्रित हों और परिवार का सहयोग मिले तो सफलता मिलती है.निराशा के क्षणों में परिवार के सदस्यों से भावनाएं साझा करनी चाहिए ताकि प्रेरित हो सकें और गलत कदम न उठाएं.
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