
जमशेदपुर.
2014 में नालसा जजमेंट के बाद भले ही थर्ड जेंडर को कानूनी पहचान मिल गई और बाद में 2019के ट्रांसजेंडर एक्ट के माध्यम से उस समुदाय के हित में और कानूनी आयाम जुड़े,मगर हकीकत में ट्रांसजेंडर समुदाय/एलजीबीटीक्यू प्लस समुदाय अपने कानूनी अधिकार,सामाजिक सुरक्षा व आर्थिक सुरक्षा के लिए बहुत जद्दोजहद कर रहा है.कानून को अमली जामा पहुंचाने के लिए सिर्फ सरकार के स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी बहुत सारे अनवरत प्रयासों और आवाज उठाते रहने की जरुरत है.जमशेदपुर क्वीयर सर्किल(JQC) की ओर से संस्थापक सौविक साहा के नेतृत्व में बिष्टुपुर बुलेवर्ड होटल में आयोजित लीगल लिटरेसी वर्कशॉप में कोलकाता से पहुंचे एलजीबीटीक्यूप्लस एक्टिविस्ट सह सामाजिक कार्यकर्ता ‘डाॅन’ ने ये बातें कही. उन्होंने इस वर्कशाॅप में रिसोर्स पर्सन की भूमिका निभाते हुए एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों को समुदाय से जुड़े एक्ट और उसकी जानकारियां दी.
विशेष अतिथि के तौर पर पहुंचे झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि “हर नागरिक को गरिमा और न्याय का हक है.” उन्होंने जमशेदपुर क्वीयर सर्किल की टीम को ऐसे ज्ञानवर्द्धक वर्कशॉप के आयोजन के लिए बधाई दी.
वर्कशॉप में मौजूद एलजीबीटीक्यूप्लस समुदाय के लोगों ने अपनी अपनी परेशानियां साझा कि कैसे ट्रांसजेंडर कार्ड, राशन कार्ड और स्वास्थ्य सुविधा के लिए उनको संघर्ष करना पड़ता है.सार्वजनिक परिवहन के साधनों ऑटो वगैरह में भी उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता है.
इस वर्कशाॅप का आयोजन C19 RM KP ग्रांट प्रोजेक्ट के अंतर्गत Plan India और The Humsafar Trust के सहयोग से किया गया. कार्यक्रम को The Global Fund द्वारा वित्तपोषित किया गया था.इस कार्यक्रम का उद्देश्य LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों और क़ानूनी जानकारियों को सुलभ बनाना था. इस वर्कशॉप में 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें समुदाय के सदस्य, क़ानूनी विशेषज्ञ और युवा नेता शामिल थे.
कार्यशाला की शुरुआत पुष्पा और ऋषिका ने स्वागत भाषण से की.
इसके बाद सौविक साहा, संस्थापक, JQC, ने मुख्य वक्ता के रूप में भारत में LGBTQIA+ समुदाय के लिए बदलते क़ानूनी परिदृश्य पर प्रकाश डाला.डॉन हंसर और झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) के प्रतिनिधि ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 और भारतीय न्याय संहिता (BNS) से संबंधित महत्त्वपूर्ण कानूनी जानकारी प्रतिभागियों के साथ साझा की. JQC की सदस्य ऋषिका ने NALSA बनाम भारत सरकार और धारा 377 जैसे ऐतिहासिक निर्णयों पर चर्चा का संचालन किया.
इसके बाद प्रतिभागियों ने एक समूह गतिविधि में भाग लिया, जिसमें उन्होंने अपने जीवन की क़ानूनी चुनौतियों और उनसे जुड़े अनुभवों को साझा किया तथा समाधान पर विचार-विमर्श किया.
कार्यक्रम का समापन सौविक साहा और पुष्पा ने “वे फॉरवर्ड” सत्र, अनुभव-साझा करने और फीडबैक फॉर्म भरवाने के साथ किया.कार्यशाला में रजिया,डाॅली समेत ट्रांस समुदाय के कई लोगों ने भाग लिया.इस मौके पर टांगराइन स्कूल पोटका के प्राचार्य अरविंद तिवारी,वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता, आनंद कुमार व अन्य शामिल हुए.कार्यक्रम के आयोजन में सुमित की महत्वपूर्ण भूमिका रही.