संवाददाता,जमशेदपुर, १४ अक्टूबर
भाजपा के वरीय नेता व -पूर्व विधायक सरयू राय ने वर्तमान सरकार के ३० सितम्बर को वित्तीय वर्ष २०१४-१५ का ६ माह पूरा हुए कार्यकाल क घोर निराशाजनक बताया । उन्हने राज्यपाल महोदय से मांग किया है कि वे सरकार के कामकाज की अर्द्धवार्षिक समीक्षा करे और अपनी सरकार के मंत्रियों को सरकारी कामकाज पर ध्यान देने के लिये कहें।
उन्हने कहा कि झारखंड सरकार के योजना एवं विकास विभाग से मैने विगत ६ माह मे सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा योजना एवं विकास मद मे किये गये ख़र्चे का व्यौरा प्राप्त किया है। यह ब्यौरा घोर निराशाजनक है। इसके अनुसार वित्तीय वर्ष का आधा बीत जाने के बाद राज्य सरकार ने विकास मद के बजट आवंटन का मात्र १५.०३ प्रतिशत ही ख़र्च किया है। वर्ष २०१४-१५ मे विकास मद का कुल बजट १८,२७० करोड़ रुपया है। विगत ३० सितम्बर तक इसमे से मात्र २७४५.१२ करोड़ रुपये ख़र्च हुये हैं।
सबसे निराशाजनक स्थित कृषि विभाग और आवास विभाग की है, जिसके मंत्री जमशेदपुर से स्वनामधन्य श्री बन्ना गुप्ता जी महोदय हैं। यह विभाग इन्हें एक कुख्यात विरासत मे मिला है। कृषि विभाग ने पिछले ६ माह मे विकास मद मे आवंटित कुल बजट राशि का मात्र ०.१० प्रतिशत राशि ही ख़र्च किया है। कृषि विभाग का इस वर्ष का विकास बजट ६०० करोड़ रुपये का है। ३० सितम्बर २०१४ तक इसमे से मात्र ६२ लाख रुपये ख़र्च हुये हैं । इनका दूसरा विभाग यानी आवास विभाग ने तो विगत ६ माह मे शून्य राशि ख़र्च किया है। आवास विभाग को बजट मे विकास मद मे मिले १० करोड़ रुपये मे से कुछ भी ख़र्च नही हुआ है।
कृषि विभाग के अलावा इन्हें पशुपालन विभाग, मत्स्य पालन विभाग और डायरी विभाग भी इनके पास है। इन विभागो को मिलाकर २९.८२ करोड़ रुपये ख़र्च हुये हैं जो कि कुल बजट आंवटन २२९ करोड़ रुपये का १३.०२ प्रतिशत है। आश्चर्य है कि अपने विभागों के पस्त हालात की चिंता इन्हें नही है। करीब नगण्य ख़र्च और बदहाल उपलब्धियों के बावजूद ये इन विभागों मे भ्रष्टाचार तलाशने मे सफल हो गये हैं। शान से बताते चल रहे है कि इनका विभाग सबसे भ्रष्ट है।
राज्यपाल जी को इन्हें नसीहत भी और निर्देश भी देना चाहिये कि ऐसे मंत्री अपने विभाग के क्रियाकलापों पर ध्यान दें न कि अपने प्रभार वाले विभागों मे भ्रष्टाचार की गुंजाइश तलाने मे समय, श्रम और शक्ति लगायें। मंत्री जनहित मे क़ानून और संविधान के पालन की शपथ लेता है न कि सायरन और लाल बत्ती के रोब मे ज़िला प्रंशासन के अधिकारियों को काम छोड़ अपने पीछे घुमाने की।